साथ ही कई जगहों पर मनमाफिक शराब मिलने की घटना ने भी राज्य सरकार को ये सोचने पर मजबूर किया कि वर्तमान कानून पूरे राज्य में इस धंधे से जुड़े लोगों में डर कायम करने में कामयाब नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ राज्य सरकार के उत्पाद विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि अगर सरकार कुछ कानूनी प्रावधान में ढिलाई देगी तब आर्थिक दंड को और कड़ा किया जाएगा।
वहीं बिहार में विपक्षी दल के नेता सुशील कुमार मोदी का दावा है कि ये आखिरकार इस पूरे मुद्दे पर उनलोगों की बड़ी जीत है। मोदी का कहना है कि उन लोगों की शुरू से मांग रही है कि सरकार इसके कानूनी प्रावधान को नरम बनाए और जनता से इस मुद्दे पर सीधा संवाद करे। राष्ट्रीय जनता दल के नेता, रघुवंश प्रसाद सिंह जो इस मुद्दे पर नीतीश सरकार के आलोचक रहे हैं मानते हैं कि सरकार की यह अच्छी शुरुआत है।
फ़िलहाल नीतीश कुमार का प्रयास है कि ग्रामीण इलाकों में न केवल कानून के प्रति लोगों का गुस्सा कम हो बल्कि शराब के अवैध कारोबार में लगे लोगों पर और नकेल कसी जाए, लेकिन सब जानते हैं कि ये सब कुछ सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई और फैसले पर निर्भर करेगा कि बिहार में शराब के खिलाफ अभियान और पाबन्दी किस ओर जाएगी।