नोटबंदी से पानीपत का कपड़ा उद्योग बरबादी के कगार पर, मजदूरों को दिहाड़ी मिलना मुश्किल

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पानीपत हैंडलूम
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दिल्ली: सरकार भले ही कहती आ रही हो कि नोटबंदी से उद्योगों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और ही हाल बयां कर रहा है। हरियाणा के पानीपत के कपड़ा उद्योग पर नोटबंदी की भारी मार पड़ी है। यहां के कारखानों में तैयार सस्ते कम्बल और बाथरूम मैट चीन को टक्कर देते हैं, लेकिन नोटबंदी के डेढ़ महीने बाद भी कैश की किल्लत बनी हुई है, जिससे कारोबार चलाना मुश्किल हो रहा है।

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एनडीटीवी के एक रिपोर्ट के मुताबिक पानीपत के ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया में भदोही के मशहूर कालीन के लिए कपड़ा तैयार करने का काम कई कारखानों में होता है। ऐसे ही एक कारखाने में पटना का पिंटू पिछले आठ साल से पॉवरलूम चला रहा है। पिछले महीने किश्तों में वेतन मिला था, अगली तनख्वाह 7 जनवरी को मिलनी है और इस बार फैक्ट्री मालिक बैंक अकाउंट में तनख्वाह ट्रांसफर करने की बात कह रहा है।

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पिंटू ने बताया, ‘पिछली बार चार-पांच किश्तों में थोड़ा-थोड़ा करके पैसे मिले। बहुत दिक्कत से मिला। फिर पेमेंट आ गया है। अभी कोई चांस नहीं कि कब मिलेगा। दो, चार, दस दिन…कैश ही नहीं है। बाबू कहते हैं कि चेक लो। चेक लेकर मैं कहां जाऊं, बैंक खाता तो पटना में है।’

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