नोटबंदी से पानीपत का कपड़ा उद्योग बरबादी के कगार पर, मजदूरों को दिहाड़ी मिलना मुश्किल

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पानीपत के कपड़ा उद्योग से करीब 2.5 लाख कुशल और दिहाड़ी मज़दूर जुड़े हुए हैं। इनमें से ज़्यादातर यूपी और बिहार से हैं। लेकिन नोटबंदी के बाद करीब 20 से 30 फीसदी मज़दूर घर लौट चुके हैं। हालात नहीं सुधरे तो कई और बोरिया-बिस्तर समेटने की तैयारी में हैं। यूपी के सुल्तानपुर का प्रदीप कुमार कहता है कि राशन वाला एक महीने उधार खर्च चला दिया, अगले महीने के लिए बोला है कि कैश पेमेंट लेकर आओगे तो खाता चलेगा नहीं तो बंद कर दिया जाएगा। एक महीने तो किसी तरह कर गुज़ारा लिया। इस पेमेंट पर कैश मिलता है तो ठीक है, नहीं तो हम लोग जो 8-10 बंदे बचे हैं अपनी तरफ के। हम लोग गांव चले जाएंगे।

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नोटबंदी के बाद सरकार ने कैशलेस व्यवस्था पर ज़ोर दिया है, लेकिन छोटे कारोबारी इसे लागू करने में व्यावहारिक दिक्कतें गिना रहे हैं।

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