कन्हैया ने HC से कहा- JNU अपीलीय प्राधिकार द्वारा जुर्माना लगाना अनुचित

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कन्हैया कुमार
फाइल फोटो।

नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने मंगलवार(6 सितंबर) को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि नौ फरवरी के विवादित कार्यक्रम के संबंध में जेएनयू के अपीलीय प्राधिकार द्वारा उन पर लगाया गया जुर्माना ‘पूरी तरह से अनुचित’ है और विश्वविद्यालय को इस तरह से अपने छात्रों से ‘झगड़ना’ नहीं चाहिए।

कन्हैया ने यह बात विश्वविद्यालय के अपीलीय प्राधिकार द्वारा उन पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाने के 22 अगस्त के आदेश के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। प्राधिकार ने अपने आदेश में उनसे यह भी कहा था कि वह एक हलफनामा दें कि वह किसी अनधिकृत कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे और सभी नियमों का पालन करेंगे।

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न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने इस याचिका पर जेएनयू से जवाब मांगा जिसके बाद जेएनयू के वकील ने कहा कि वह तीन हफ्तों के भीतर लघु शपथपत्र देगी। कन्हैया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने अदालत को बताया कि अपीलीय प्राधिकार ने अपने आदेश में यह रिकार्ड करके गलती की कि उनके मुवक्किल ने सवालों के जवाब नहीं दिये, क्योंकि उन्होंने उच्चस्तरीय जांच समिति द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों से स्पष्ट रूप से इंकार किया था।

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जांच समिति का गठन नौ फरवरी के कार्यक्रम के संबंध में गौर करने के लिए किया गया था। इस कार्यक्रम में परिसर के अंदर भारत विरोधी नारेबाजी की गई थी। जॉन ने कहा कि मैं (कन्हैया) राजनीतिक कार्यकर्ता हूं और मुझ पर लगाया गया, जुर्माना पूरी तरह से अनुचित है। इस औहदे वाले विश्वविद्यालय को अपने छात्रों से इस तरह से नहीं लड़ना चाहिए।

इसके बाद अदालत ने जेएनयू के वकील से पूछा कि आप (सुनवाई की) अगली तारीख तक जुर्माने और हलफनामे पर जोर क्यों दे रहे हैं? जब वकील ने कहा कि विश्वविद्यालय इस पर जोर नहीं देगा, अदालत ने सुनवाई के लिए 19 अक्तूबर की तारीख तय की।

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कन्हैया के अलावा जेएनयू के सात अन्य छात्रों ने भी अपीलीय प्राधिकार के आदेश को चुनौती दी है। अदालत ने उस छात्र के मुद्दे पर गौर करने के लिए आठ सितंबर की तारीख तय की जिसकी छात्रावास सुविधा वापस लेने के आदेश दिए गए हैं।