देवेंद्र फणनवीस सरकार ने यह कदम काफी सोच-समझकर उठाया है। दरअसल, राज्य में चल रहे मराठा आंदोलन की वजह से मराठाओं के बीच बीजेपी की छवि खराब हुई है। ऐसे में राज्य सरकार बेकफुट पर है। दरअसल, मराठा लोग अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम को हटाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वह चाहते हैं कि उनकी जाति को आरक्षण दिया जाए।
महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक छत्रपति शिवाजी स्मारक परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में करीब 2300 करोड़ रुपए की लागत आएगी। लेकिन स्मारक बनने से पहले ही उस पर राजनीति शुरू हो गई। बीएमसी चुनावों से ठीक पहले स्मारक के भूमि पूजन पर विपक्ष ने सवाल उठाए और सरकार पर बीएमसी चुनाव से पहले छत्रपति शिवाजी के नाम का सियासी फायदा उठाने का आरोप लगाया।
हालांकि, सरकार ने विपक्ष को शिवाजी के नाम पर राजनीति ना करने की सलाह दी। फिलहाल छत्रपति शिवाजी स्मारक परियोजना को सफल बनाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही है। स्मारकों के सहारे वोटबैंक साधने का खेल नया नहीं है, अम्बेडकर से लेकर सरदार पटेल तक के नाम पर ये दांव पहले ही खेला जा चुका है।