समाजवादी के कुनबे में फिर सामने आई कलह!

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सपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव का आज 70वां जन्मदिन मनाया जा रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब ये समारोह इनके पैतृक गांव सैफई के बजाय लखनऊ में मनाया जा रहा है। इस अवसर पर सुबह ग्यारह बजे ,लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में रामगोपाल की किताब ‘संसद में मेरी बात’ का विमोचन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की उपस्थिती में किया गया।इस मौके पर सपा के सभी वरिष्ठ नेताओं ने अपनी शिरकत की। लेकिन मुलायम सिंह यादव के सगे भाई और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव इस कार्रक्रम में ज़रा देर से पहुंचे। शिवपाल यादव दीप प्रज्वलन के बाद कार्यक्रम में पहुंचे और सीधे मंच पर जाकर पीछे वाली सीट पर जा बैठे। काफी मान मनव्वल के बाद आखिरकार वो आगे वाले सीट पर बैठने के लिए राजी हुए।
खैर इस घटना से शिवपाल यादव की नारागजी वाली बात जगजाहिर हो गई। सबको पता चल गया शिवपाल यादव नाराज़ हैं, और हों भी क्यों ना। पार्टी में शिवपाल के साथ सौतेला व्यवहार तब सामने आया जब रामगोपाल यादव की किताब के विमोचन समारोह के लिए बांटे गए आमंत्रण-पत्र में शिवपाल यादव का नाम तक नहीं था। कुनबे की कलह को छिपाने वाली समाजवादी के पास इस बात का जवाब तक नहीं कि आखिर निमंत्रण पत्र से शिवपाल का नाम गायब क्यों है।
किसी ने ठीक ही कहा कि घर की लड़ाई घर के बाहर जाए तो बदनामी होती है, ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी के इस जश्न में भी देखने को मिला। लाख नाराज़गी के बाद शिवपाल समारोह में पहुंचे तो जरूर लेकिन बेमन के। ताकि लोगों को ये एहसास ना हो सके कि सपा के कुनबे में कलह का माहौल है। वैसे भी अगले साल यूपी में चुनाव आने वाले हैं। जाहिर है इस बार फिर सत्ता में आने के लिए समाजवादी पार्टी पुरजोर कोशिश करेगी। ऐसे में ज़रा सी चूक पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है।

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