चुनाव आयोग ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और आप विधायक सुरिंदर सिंह पर लगे लाभ के पद के आरोप हटा लिए हैं। पिछले साल बीजेपी नेता विवेक गर्ग ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया था कि राज्य विधानसभा में सिसोदिया की सदस्यता रद्द की जाए, क्योंकि दिल्ली में डिप्टी सीएम के पद का कोई प्रावधान नहीं है और इसे लाभ का पद बनाया गया है। उनकी याचिका को राष्ट्रपति कार्यालय ने चुनाव आयोग के पास उनकी राय लेने के लिए भेजा था। राष्ट्रपति ने दिल्ली कैंट से आप के विधायक सुरिंदर सिंह के खिलाफ भी शिकायत की थी, जिन पर नई दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) की सदस्यता के जरिए चार सरकारी फ्लैटों पर गैरकानूनी कब्जा कर लाभ लेने का आरोप है। चुनाव आयोग ने दोनों को क्लीन चिट देते हुए इसे राष्ट्रपति कार्यालय भेज दिया है। यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो चुनाव आयुक्तों ओपी रावत और एके जोती पर आरोप लगाए थे।
केजरीवाल ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि रावत और जोती सत्ताधारी बीजेपी के करीबी हैं। बाद में चुनाव आयोग की विश्वसनीयता बरकरार रखने के लिए खुद के आप से संबंधित सभी मामलों और शिकायतों की सुनवाई से हटा लिया था। हालांकि सिसोदिया और सिंह को क्लीन चिट देने का फैसला रावत के मामले से हटने के फैसले से पहले लिया गया था। सहयोगी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने जब मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से संपर्क किया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।अब तक राष्ट्रपति कार्यालय ने 4 आप विधायकों के खिलाफ लाभ का पद लेने का मामला दर्ज किया है।
फिलहाल चुनाव आयोग द्वारा सुनी जाने वाली पहली शिकायत 21 आम आदमी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के बारे में है, जिन्हें दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रियों की सहायता के लिए संसदीय सचिवों के रूप में असंवैधानिक रूप से नियुक्त किया गया है। जबकि दूसरी याचिका में दिल्ली के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मरीज कल्याण समितियों के अध्यक्षों के रूप में लाभ का पद लेने के लिए 27 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की मांग की गई है।