नई दिल्ली। नोटबंदी का असर कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं पर भी पड़ने लगा है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, नोटबंदी के बाद कश्मीर में अलगाववादियों के उकसावे पर होने वाली हिंसा में काफी कमी आई है।
सूत्रों का कहना है कि नोटबंदी ने कश्मीर में पत्थरबाजी पर ब्रेक लगा दिया है। 500 और 1000 रुपये के नोट बंद होने के बाद उपद्रव के आकाओं के पास पत्थरबाजों को दिहाड़ी देने के पैसे नहीं है। लिहाजा घाटी में अमन बहाली को गति मिल गई है।
एक बार पत्थरबाजी के लिए युवाओं को 500 रुपए की कीमत देने वाले अलगाववादी नेता अब परेशान है कि युवाओं को भड़काने के लिए अब पैसे कहां से लाएं जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से सरकार को बताया गया है कि सरकार के इस कदम से अलगाववादी नेता भौचक्के हैं।
इसका नतीजा है कि अब चार माह से जारी प्रदर्शन को पीछे धकेल दिया है। अलगाववादी नेता सिर्फ हवाला के जरिए पैसे हासिल करते हैं और इस पर काफी हद तक असर पड़ा है। पत्थरबाजों का नेटवर्क पस्त हो गया है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि पहले कश्मीर में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी के लिए 500 रुपये और 1,000 रुपये का रेट निर्धारित था। लेकिन नोटबंदी की घोषणा ने आतंक की इस फंडिग को समाप्त कर दिया है।