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भारतीय स्टेट बैंक की इसी ब्रांच में 65 वर्षीय बुजुर्ग पूरनचंद वत्स भी मिले, जो बैंक से सेवानिवृत हैं। उन्होंने बताया कि वह इस बैंक की शाखा के पास में ही रहते हैं। जब उन्हें पता चला कि यहां कर्मचारियों की कमी है तो वह शाखा प्रबंधक मुरली मनोहर मेहता से मिले और उन्होंने मदद करने की बात कही। पूरनचंद वत्स ने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में वह कंप्यूटर चला नहीं सकते थे। इस वजह से वह 100-100 रुपये के 40 नोटों का बंडल बनाकर रख रहे हैं, जिससे कि कैश देने वाले कर्मचारियों को नोट बदलवाने आने वाले व्यक्ति को रुपये देने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि जब तक जिंदा हूं काया, चित और वाणी से लोगों की सेवा करता रहूंगा।
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