नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने हर साल फसलों की बची हुई ठूंठ को जलाने से पैदा होने वाले धुएं से राष्ट्रीय राजधानी में लोगों की सेहत पर असर की बात करते हुए पड़ोसी राज्यों को निर्देश दिया कि मौका रहते इस चलन को रोका जाए।
न्यायमूर्ति बदर अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने कहा कि उसने इस विषय को गंभीरता से लिया है, क्योंकि दिल्ली और उसकी जनता हर साल समस्या से ग्रस्त रहती है जबकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने फसलों और उनके बचे अवशेषों को जलाने की प्रथा को रोकने का आदेश दिया है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर एनजीटी और अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया गया तो पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
अदालत ने कहा कि ‘‘हम हर साल ठूंठों के जलाने की वजह से पैदा होने वाले धुएं की समस्या से ग्रस्त होते हैं। यह शायद शुरू हो चुका है, क्योंकि आपको सुबह सुबह धुंध दिखाई देगी। यह हमें प्रभावित करेगा और हालात बदतर हो जाएंगे। सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा।’’
पीठ ने कहा कि ‘‘हम इस साल इस पर गंभीर रख अपना रहे हैं। एनजीटी राज्यों से कार्रवाई करने को कहती आ रही है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा। आप जब मौके पर कुछ नहीं करेंगे तो दिल्ली में हालात बदतर हो जाएंगे।’’ पीठ ने कहा कि कानून के तहत फसलों के अवशेष को जलाना स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण से हर नागरिक प्रभावित है और खासतौर पर दिल्ली के बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने तक में कठिनाई महसूस होती है।