उमा भारती के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर लगी रोक

0
फाइल फोटो।

नई दिल्ली। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रामकुमार चौबे ने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर से दायर मानहानि के मामले में स्थानीय अदालत द्वारा गुरुवार(29 सितंबर) की दोपहर केन्द्रीय मंत्री उमा भारती के खिलाफ जारी गैर जमानती गिरफ्तारी आदेश पर स्थगन देते हुए वारंट तामील करने पर रोक लगा दी है।

केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि उनका (उमा भारती) बयान उनके अधिवक्ता के माध्यम से भी दर्ज किया जा सकता है और यह मामला इतना अहम नहीं है, जिसके लिये उनकी उपस्थिति होना जरूरी नहीं है।

उमा के वकील के तर्क के बाद चौबे ने स्थानीय अदालत द्वारा गुरुवार को दिन में पहले जारी किया गया। उनके खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को तामील करने पर रोक लगाने के आदेश दिए। उमा के वकील ने दलील दी कि केन्द्रीय मंत्री मात्र मानहानि के मामले में आरोपी हैं और यह कोई गंभीर प्रवृत्ति का मामला नहीं है। अदालत ने इसके बाद केन्द्रीय मंत्री को राहत देते हुए गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी।

इसे भी पढ़िए :  कश्मीर: सेना पर हमला कर रहा था, प्लास्टिक की गोली से मारा गया

दोपहर भोजन के पहले के सत्र में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) भूभास्कर यादव ने उमा भारती के खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दिए थे और मामले में अगली सुनवाई की तारीख 19 अक्तूबर नियत की थी।

यादव ने उमा भारती को अदालत में हाजिर होने से छूट देने की अपील खारिज करते हुए उनके खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए निर्देश दिया कि इसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के जरिए तामील करवाया जाए।

इसे भी पढ़िए :  नोटबंदी नहीं, कालेधन की नाकेबंदी के खिलाफ है विपक्ष: नकवी

उमा को सुनवाई हेतु अदालत में उपस्थिति से छूट देने की अपील करते हुए उनके वकील हरीश मेहता ने कहा कि उनकी मुवक्किल शीर्ष अदालत के आदेश पर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद को लेकर एक अहम बैठक में व्यस्त हैं और इस वजह से वह यहां अदालत में उपस्थित नहीं हो सकती हैं।

सीजेएम यादव ने उमा भारती की अपील को खारिज करते हुए कहा कि मानहानि के इस मामले में अक्तूबर 2015 से वह अपना बयान दर्ज नहीं करवा रहीं हैं तथा 13 वर्ष पुराने इस मामले में उन्हें कई बार इसका मौका दिया गया है। फरवरी में तत्कालीन सीजेएम पंकज सिंह माहेश्वरी ने उमा भारती और दिग्विजय सिंह को अपने मतभेद समाप्त करने के लिए अपने वकीलों के साथ मध्यस्थता केन्द्र में उपस्थित होने के लिये कहा था, लेकिन यह नहीं हो सका।

इसे भी पढ़िए :  यात्रियों को ले जा रही बस खाई में गिरी, 6 लोगों की मौत

मालूम हो कि मध्य प्रदेश में साल 2003 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उमा भारती ने दिग्विजय सिंह पर घोटाले के आरोप लगाए थे। उमा भारती ने कहा था कि दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए पंद्रह हज़ार करोड़ का घोटाला किया। इन्हीं आरोपों के बाद दिग्विजय सिंह ने उमा भारती पर मानहानि का मामला दर्ज करवाया था।