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रूपनवाल ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए 50 से अधिक लोगों से बात की जिनमें से ज्यादातर यूनिवर्सिटी के टीचर, अधिकारी और अन्य कर्मचारी थे। पूर्व न्यायाधीश ने विश्वविद्यालय के पांच छात्रों और परिसर में आंदोलन चलाने वाली ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों से भी मुलाकात की। रिपोर्ट के अनुसार रोहित का आत्महत्या करने का निर्णय खुद का था और उन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन या सरकार ने इसके लिए मजबूर नहीं किया था। जब इंडियन एक्सप्रेस ने रूपनवाला से उनकी रिपोर्ट के बारे में बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि वो इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।
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