नोटबंदी के बाद भले ही आरबीआई ने सहकारी बैंकों से पैसे बदलने पर रोक लगा दिया था लेकिन अब पुराने नोटों को जमा कराने के मामले में भी सहकारी बैंकों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में आधा दर्जन खेतिहर इलाकों के सहकारी बैंको में हफ्ते भर के भीतर किसानों के खातों में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जमा हो गई। आयकर विभाग की इस मामले पर नजर है।
इतना ही नहीं, कर्जदार किसानों के 48 करोड़ रुपये भी बैंकों के खातों में जमा हो गए। आमतौर पर सहकारी बैंकों में इतना बड़ा कारोबार इतने कम दिनों में इससे पहले कभी नहीं हुआ। राज्य में 52 लाख किसान सहकारी बैंकों के ग्राहक है। इसमें से 90 फीसदी किसान बैंको से कर्ज लेकर खेतीबाड़ी करते हैं। नोटबंदी के दौरान आरबीआई ने सहकारी बैंकों में नोट निकासी पर पहले रोक लगाईं थी, लेकिन यह रोक दो चार दिनों के लिए ही लागू रह पाई। किसानों को बुआई के लिए रकम की जरूरत के मद्देनजर आरबीआई ने सहकारी बैंकों को रकम निकासी और जमा करने को लेकर रोक हटा दी थी। इतनी बड़ी रकम किसानों के पास कहां से आयी यह रहस्यमय बना हुआ है। मामले के खुलासे के बाद इनकम टैक्स विभाग ने बैंकों से जमा रकम और निकासी का पूरा ब्यौरा मांगा है।
अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि यह रकम छत्तीसगढ़ के बीजेपी और कांग्रेसी नेताओं की है। जिन्होंने अपनी अपनी पार्टी के किसान कार्यकर्ताओं के खाते में यह काली कमाई जमा करवाई है। नोटबंदी के बाद से प्रदेश के सहकारी बैंकों में हुए लेन-देन का आयकर विभाग ने पूरा हिसाब मांगा है। इन बैंकों की शहरी शाखाओं में बड़ी राशि जमा किए जाने की खबर के बाद आयकर विभाग ने अहम कदम उठाया है। आयकर अमला राज्य के सहकारिता विभाग से भी सतत संपर्क बनाए हुए है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 8 नवंबर की रात नोटबंदी के ऐलान के बाद अगले तीन दिनों में सहकारी बैंको में एक बड़ी रकम को बदलवाने का खेल हुआ।
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