इसके लिए आरोपियों ने कुछ प्लेसमेंट एजेंसियों से संपर्क कर रखा था, जहां नौकरी की इच्छा रखने वालों से उनके बॉयोडाटा के साथ उनका पैन कार्ड और आधार कार्ड नंबर भी मांगा जाता था। इन्हीं पैन कार्ड और आधार कार्ड नंबर को देकर फर्जी नाम से सिम कार्ड खरीदे जाते थे और फिर सिम कार्ड मिलते ही पेटीएम अकाउंट्स तो खुलते ही थे, मेंबरशिप का रजिट्रेशन कराए लोगों से सेक्स के नाम पर और भी मोटी रकम ऐंठी जाती थी। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, गिरफ्तार पांच आरोपियों में से एक आरोपी खुद कभी विक्टिम रहा है। उससे एक बार मेंबरशिप का रजिट्रेशन के बहाने दो हजार रुपये ठग लिए गए। सेक्स के नाम पर हुई इस ठगी की पुलिस में शिकायत करने में उसे संकोच हुआ। बाद में उसने सोचा कि उसकी तरह और भी लोग पुलिस में जाने से संकोच करते होंगे। यहीं से उसने सोचा कि क्यों न वह खुद इस तरह की सिर्फ 999 की ठगी करे। इस तरह उसने तीन फ्रेंडशिप क्लब के बहाने तीन सेक्स वेबसाइट्स बना लीं और सिर्फ दो ही महीनों में लाखों रुपये कमा लिए।