जयललिता के बाद सामने आया ये गुमनाम शख्स, जानिए कौन है ये

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जयललिता

चेन्नै : तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की बेहद करीबी मित्र शशिकला यूं तो अपने पति से एम. नटराजन से अलग रहती हैं। लेकिन जयललिता के निधन के बाद नटराजन अचानक तस्वीरों में नजर आने लगे हैं। लो-प्रोफाइल रहने वाले नटराजन से जयललिता ने एक दौर में दूरी बना ली थी। मंगलवार को राजाजी हॉल में जब शशिकला के परिवार के सदस्य ‘अम्मा’ के शव को घेरे खड़े थे, उसी समय किसी दौर में तमिलनाडु की राजनीति के चर्चित चेहरे नटराजन भी अचानक लोगों को दिखाई दिए। नटराजन चुपचाप जयललिता के शव के सिर की ओर खड़े थे। हालांकि एआईएडीएमके के सदस्य और सोशल मीडिया पर लोग उन्हें लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

2011 में जयललिता ने शशिकला के परिवार के सभी सदस्यों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। दो महीने बाद ही लॉबिस्ट के तौर पर विख्यात नटराजन को तंजावुर पुलिस ने जमीन हड़पने के एक मामले में अरेस्ट कर लिया था। पिछले कुछ सालों से वह भले ही गुमनाम जिंदगी जी रहे हों, लेकिन एक वक्त था जब नटराजन ने ही जयललिता और उनके राजनीतिक गुरु रहे एमजी. रामचंद्रन की पत्नी जानकी के धड़े को 1989 में नजदीक लाने का काम किया था।

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सीएम के तौर पर जयललिता के पहले कार्यकाल के समाप्त होने के बाद नटराजन पत्नी शशिकला से अलग रहने लगे। यही वह समय था जब जयललिता और नटराजन के बीच रिश्ते खराब हो गए। उल्लेखनीय है कि नटराजन ही अपनी पत्नी शशिकला को एआईएडीएमके में लाए थे, जो बाद में जयललिता की सबसे करीबी हो गईं। 1996 में जयललिता ने नटराजन को बाहर निकलवा दिया था।

हालांकि पार्टी वर्कर्स और नौकरशाही पर नटराजन का जलवा बरकरार रहा। उनके एक करीबी ने बताया, ‘हर चुनाव में एआईएडीएके के टिकट के लिए उनके आवास पर लाइन लगा करती थी।’ एक सीनियर पार्टी लीडर ने कहा, ‘नटराजन ने दिल्ली में अपने दोस्तों का एक नेटवर्क बनाया था। वह बीएसपी चीफ मायावती और एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव से भी करीबी से जुड़े थे। वह कांग्रेस के भी तमाम दिग्गज नेताओं से परिचित थे।’ यही नहीं तमिल समुदाय से जुड़े सम्मेलनों को संबोधित करने के लिए वह विदेश की यात्राएं भी करते थे।

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अब जयललिता के निधन के बाद नटराजन के शशिकला से रिश्तों को लेकर भी तमाम बातें होने लगी हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नटराजन और उनके शशिकला के भाई दिवाकरण फिलहाल उनके सबसे मुख्य सलाहकार हैं। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि एक लॉबिस्ट के तौर पर नटराजन दिल्ली में पार्टी के लिए बड़े काम कर सकते हैं। करीब 60 साल के नटराजन 1965 में उस वक्त डीएमके नेताओं के संपर्क में आए थे, जब उन्होंने एक छात्र नेता के तौर पर हिंदी के खिलाफ आंदोलन किया था।

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इसके बाद डीएमके की सरकार आने के बाद उन्हें जन संपर्क विभाग में सहायक अधिकारी के तौर पर तैनात किया गया था। यहीं से वह सत्ता के गलियारों के अहम शख्स हो गए। नटराजन की जयललिता से पहली मुलाकात 1980 के दशक के मध्य में हुई थी, जब वह कुड्डालोर जिले के पीआरओ थे। तब रामचंद्रन ने कुड्डालोर में एक जनसभा में जयललिता का परिचय कराया था। तभी नटराजन ने अपनी पत्नी शशिकला का परिचय जयललिता से एक विडियो शॉप की दुकान चलाने वाली के तौर पर कराया था। शशिकला ने उस इवेंट की विडियो तैयार की थी। नटराजन और शशिकला की जिंदगी में यह टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और कुछ दिन बाद ही वह जयललिता के पोएस गार्डन स्थित बंगले में पहुंच गए।