माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के लंबित फैसले की वजह से ही विद्यासागर राव भी शशिकला को सरकार बनाने के लिए न्योता देने में देरी कर रहे हैं। हालांकि, शशिकला खेमे ने गवर्नर और सुप्रीम कोर्ट, दोनों पक्षों से हो रही देरी के मद्देनजर अपना प्लान बी तैयार कर लिया है। उन्होंने पार्टी के प्रिसिडियम चेयरमैन केए सेंगोटि्टयान और मंत्री ईके पलानीस्वामी का नाम बतौर सीएम आगे करने का फैसला किया है। अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई नकारात्मक फैसला आता है तो शशिकला के चुनाव लड़ने या पद पर बने रहने पर बैन लग जाएगा। जहां तक सीएम पद के लिए नए नामों को सामने लाया जा रहा है, इसे शशिकला खेमे की ओर से राजभवन से रिश्ते नॉर्मल करने की कोशिश मानी जा रही है। जिन दो नेताओं के नाम शशिकला ग्रुप ने आगे किए हैं, वे गौंडर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले तीन सांसद फिलहाल पन्नीरसेल्वम के खेमे में हैं।
एक ओर जहां कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर टिकी हुई है, वहीं केंद्र सरकार यह नहीं चाहती है कि शशिकला या पन्नीरसेल्वम में से किसी ग्रुप को तमिलनाडु के राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करें। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि केंद्र सरकार चाहती है कि राज्यपाल असेंबली में बहुमत परीक्षण कराएं। राजभवन द्वारा सदन में शक्ति प्रदर्शन का विकल्प सुप्रीम कोर्ट द्वारा इससे मिलते जुलते मामलों में दिए गए फैसलों के मद्देनजर भी लिया जाएगा। गौरतलब है कि तमिलनाडु में जारी सियासी उठापठक में जहां शुरू में शशिकला का पलड़ा भारी दिख रहा था, वहीं अब पन्नीरसेल्वम मजबूत दिख रहे हैं। उनको चार सांसदों और राज्य के शिक्षा मंत्री का साथ मिला है। शशिकला ने रिजॉर्ट में जिन विधायकों को ‘बंदी’ बना रखा है, उनमें से भी सभी के बारे में स्पष्ट नहीं हैं कि वे शशिकला का साथ देंगे।
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