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पीएलएफआई के सब जोनल कमांडर और इनामी नक्सली ललित बड़ाईक ने मंगलवार को कोतवाली थाने में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। सिमडेगा के बानो का रहने वाला यह नक्सली सरेंडर करने के लिए फैमिली मेंबर्स के साथ थाने पहुंचा था। दूसरी तरफ, पुलिस इस बात की छानबीन कर रही है कि ललित वास्तव में नक्सली है भी या नहीं।
हथियार डालने वाले नक्सली ललित ने बताया कि उसने साल 2000 में जवाहर नवोदय विद्यालय से 10वीं और 2002 में 12वीं पढ़ाई की है। वह आगे पढ़ना चाहता था। लेकिन पुलिस ने एक छात्र के मर्डर केस में उसे जेल भेज दिया। जिसके बाद साल 2006 में वो नक्सली संगठन से जुड़ा और इसी वजह से वो एक नामी नक्सली बन गया।
वर्ष 2010 को संगठन की गलत नीतियों के कारण उसने संगठन से नाता तोड़ लिया और फरार हो गया। वह काफी दिनों से सरेंडर करने की सोच रहा था, लेकिन पुलिस से संपर्क नहीं होने के कारण भागा-भागा फिर रहा था। दो सप्ताह पहले कोतवाली इंस्पेक्टर श्यामानंद मंडल के संपर्क में वह आया और उसने सरेंडर करने की इच्छा जताई।
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