पीएलएफआइ के पूर्व सबजोनल कमांडर रहे ललित कुमार बड़ाइक पर हत्या, रंगदारी आदि के एक दर्जन से अधिक मामले हैं। वह सिमडेगा जिला के बानो निवासी स्व. भानू बड़ाइक का पुत्र है। सरेंडर करने के बाद उसने बताया कि पीएलएफआइ अपनी नीति से भटक चुका है। भोले-भाले ग्रामीणों को संगठन में शामिल कर उनका शोषण कर रहा है। मुझे भी बहलाकर पार्टी में कोलेबीरा क्षेत्र का सबजोनल कमांडर बना दिया गया था। इसके बाद मानसिक और शारीरिक रूप से शोषण किया जाने लगा। इस वजह से संगठन छोड़ मुख्य धारा से जुड़ने के लिए सरेंडर किया। ललित ने कहा कि नोटबंदी से नक्सलियों की अर्थतंत्र की रीढ़ टूट गई है। नक्सली अब बैकफुट पर आ जाएंगे।
ललित कुमार बड़ाइक ने बताया नक्सली संगठन अपनी विचारधारा से भटक गए हैं। उनका काम अब शोषण से लड़ने की बजाया ज्यादा से ज्यादा लेवी वसूलना है। ललित बड़ाई ने कहा कि वे ग्रामीण युवाओं को बहला- फुसलाकर संगठन में शामिल करते हैं। संगठन में बड़े नेता नक्सलियों का शोषण व प्रताड़ित करते हैं। सरकार की नीति से ही प्रेरित होकर मुख्य धारा में लौटने का फैसला किया।
ललित ने बताया कि 28 अगस्त 2010 को उसने संगठन छोड़ दिया। खुद की सुरक्षा की खातिर देश का भ्रमण करने लगा। समाज को करीब से देखा और बंदूक को कभी हाथ नहीं लगाने की ठानी। ललित ने ये भी बताया कि उसकी मां ने उसे कहा था कि संगठन छोड़ दो या मुझे गोली मार दो। मां के इस कथन ने मुझे भीतर तक प्रभावित किया और संगठन छोड़ दिया।