आईबीएन लाइव की खबर के मुताबिक यासीन बताते हैं कि मुख्यह सड़क से स्कूठल का रास्तास करीब 16 किमी का था। लेकिन पूरा रास्ताै जंगल से होकर जाता था। स्कूरल भी यमुना नदी की तलहटी में बना हुआ था। गांव मध्यू प्रदेश और राजस्थाहन की सीमा से लगा हुआ था। याद करते हुए यासीन बताते हैं कि खासतौर से बाजरे की फसल तैयार होने के दौरान जंगल में अपरहण की वारदातें बढ़ जाती हैं। फसल की ऊंचाई करीब 10 से 12 फुट तक होती हैं। बदमाश फसल के बीच आराम से छुपकर बैठ जाते हैं। राजस्थाेन या मध्य प्रदेश में पुलिस की सख्ती बढ़ने के बाद बदमाश इसी गांव में आ जाते थे। ऐसे ही बाजरे की फसल के दौरान ही एक बार जंगल में मुझे एक युवक मिला। वह लंगड़ा कर चल रहा था।
पास आने पर उसने गांव के बाहर सड़क पर छोड़ने की मदद मांगी। घायल होने के चलते मैंने उसे सड़क के पास ही प्राथमिक स्वाकस्य् म केन्द्र पर छोड़ दिया। थोड़ी दूर बाजार में चलने पर अचानक से आई पुलिस की गाड़ी ने मुझे रोक लिया। उस लंगड़े युवक के बारे में पूछताछ शुरू कर दी। बाद में मुझे पता चला कि वह एक बड़ा बदमाश था। जंगल में बदमाशों की हलचल भी बढ़ गई थी। तभी मुझे खाकी वर्दी का ख्या ल आया।
सड़क से स्कूल और स्कूदल से सड़क पर आने-जाने के दौरान मैंने पुलिस की वर्दी पहननी शुरू कर दी। जिसका फायदा यह मिला कि जंगल में कई बार गलत दिखने वाले व्यबक्तिौ मिले। बदन पर पुलिस की वर्दी देखकर पूछ लेते थे कि पुलिस में हो क्या। टोका-टाकी जरूर करते थे, लेकिन कोई कुछ कहता नहीं था।