तीन सरकारी कर्मचारियों को मिली पानी बर्बाद करने की सजा, नहीं मिलेगा वेतन बढ़ोत्तरी का लाभ

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पानी
प्रतिकात्मक तस्वीर

महाराष्ट्र के तीन सरकारी कर्मचारियों को पानी बर्बाद करने की सजा मिली है। लातूर जिले के तीन सरकारी कर्मचारियों को वेतन बढ़ोत्‍तरी का लाभ देने से इनकार कर दिया गया है। इनमें एक क्‍लास-वन अफसर भी शामिल है। इन तीनों कर्मचारियों को इस सूखाग्रस्‍त क्षेत्र में पानी बर्बाद करने का जिम्‍मेदार पाया गया था। यह कार्रवाई 21 अगस्‍त को छह ओवरहेड टैंक से 1.5 लाख लिटर पानी की बर्बादी के बाद की गई है। लातूर नगर निगम द्वारा संचालित यह पानी की टंकियां ओवरफ्लो होने के चलते 20 मिनट तक बहती रहीं। तीनों कर्मचा‍री नगर निगम के स प्‍लाई डिपार्टमेंट से हैं। कार्यवाहक नगर निगम प्रमुख, जिलाधिकारी पांडुरंग पोले ने जांच के बाद तीनों को यह सजा दी है। अपनी सफाई में, क्‍लास-वन अधिकारी ने लिखा कि घटना के लिए उसके दो अधीनस्‍थ जिम्‍मेदार हैं। हालांकि पोले ने पूरे मामले की जांच के बाद तीनों को पानी की बर्बादी के लिए जिम्‍मेदार ठहराया है।

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करीब छह महीने के इंतजार के बाद लातूर के निवासियों को अगस्‍त की शुरुआत में नलों के जरिए पानी मिलना शुरू हुआ था। तब तक, रोज पश्चिमी महाराष्‍ट्र से 25 लाख लिटर पानी लेकर एक ट्रेन इस सूखाग्रस्‍त शहर आती थी। अब भी, हर 15 दिन में एक बार पानी से भरी ट्रेन यहां सप्‍लाई करती है। लातूर नगर निगम शहर को सप्‍लाई करने के लिए नागजरी और साई बैराज से पानी खींचता है, यही पानी छह ओवरहेड टैंकों में स्‍टोर किया जाता है। टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, ”उससे (बर्बाद हुए पानी से) सैकड़ों लोगाें की प्‍यास बुझती। यह कार्रवाई कड़ा संकेत देगी।”

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