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बाद में अध्यक्ष ने अपने कक्ष में संवाददाताओं से कहा,बिना पूर्व नोटिस के विधायक बर्मन ने शून्यकाल के दौरान व्यभिचार का मुद्दा उठाया। इसके बाद विपक्षी सदस्य सदन के कूप में पहुंच गए और नारे लगाने शुरू कर दिए। अचानक बर्मन गदा के साथ सदन से बाहर चले गए। बर्मन को ऐसा नहीं करना चाहिए था।
अवकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही पुन: शुरू हुई तो देबनाथ ने इस कृत्य की निंदा की और कहा, यह संसदीय परंपरा, प्रथा और प्रक्रिया के खिलाफ है।
जनवरी, 1972 में त्रिपुरा के पृथक पूर्ण राज्य बनने के बाद से सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी विधायकों द्वारा चांदी की प्रतीकात्मक गदा लेकर भागने की यह तीसरी घटना है।
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