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गौतमपल्ली का बंगला नंबर 22 भी कुछ ऐसे ही अंधविश्वास से घिरा है। कहा जा रहा है कि इस बंगले में जो भी मंत्री गया, वह अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही हट गया। अखिलेश यादव सरकार में तीन मंत्रियों को यह बंगला आवंटित किया गया था।
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सबसे पहले कृषि मंत्री रहे आनंद सिंह को दिया गया। कुछ दिनों बाद वह बर्खास्त हो गए। इसके बाद यह बंगला कैबिनेट मंत्री शिवाकांत ओझा को मिला। कुछ ही महीनों बाद ओझा को भी बर्खास्त होना पड़ा। बाद में जब शादाब फातिमा मंत्री बनीं तो विधायक निवास छोड़कर इसमें शिफ्ट हो गईं, लेकिन वह भी सपा के आपसी विवाद में बर्खास्त कर दी गईं।
यह अंधविश्वास सिर्फ सरकारी आवासों के साथ ही नहीं बल्कि कार्यालयों के साथ भी है। विधान भवन के 58 नंबर कक्ष को लेकर भी इसी तरह की चर्चा है।
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