गुरुवार (नौ मार्च) को विभिन्न एजेंसियों और टीवी चैनलों ने उत्तर प्रदेश, पंजाब,उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधान सभा से जुड़े एग्जिट पोल जारी किए। एग्जिट पोल्स के सामने आने के बाद सबसे ज्यादा विवाद यूपी से जुड़े एग्जिट पोल्स को लेकर हो रहा है। ज्यादातर एग्जिट पोल्स ने कहा है कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर सकती है। तीन एग्जिट पोल में तो भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान जताया गया है। यूपी से जुड़े एग्जिट पोल्स में दूसरी चौंकाने वाली बात बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नतीजों से जुड़े अनुमान है। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में बसपा को तीसरे नंबर पर रहने का अनुमान जताया गया है। वहीं सत्ताधारी समाजवादी (सपा) को ज्यादातर एग्जिट पोल्स में दूसरे स्थान पर रहने का अनुमान लगाया गया है। तो क्या एग्जिट पोल्स के नतीजे हमेशा सही होते हैं। आइए हम आपको बताते हैं जब पिछले दो सालों में ज्यादातर एग्जिट पोल्स बुरी तरह विफल साबित हुए थे।
तमिलनाडु 2016
साल 2016 में हुए तमिलनाडु विधान सभा चुनाव के दौरान ज्यादातर एग्जिट पोल्स में अनुमान जताया गया कि जयललिता की एआईएडीएमके सत्ता से बाहर हो जाएगी। एग्जिट पोल्स के बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि जयललिता के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के कारण ऐसा होना स्वाभाविक है। लेकिन जब नतीजे आए तो सबके होश फाख्ता हो गए। जयललिता की पार्टी ने राज्य विधान सभा की 234 सीटोौं में से 136 सीटें जीतकर अकेले दम पर बहुमत हासिल कर लिया।
एक्सिस-माई इंडिया, आईएएनएस, न्यूज नेशन इत्यादि के एग्जिट पोल्स में कहा गया था कि डीएमके और कांग्रेस गठबंधन राज्य में अकेले दम पर बहुमत हासिल करके सरकार बनाएगा या फिर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगा। जाहिर है चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया कि ऐसे सारे एग्जिट पोल्स सच से दूर थे।