घोड़े की मूर्ति से डर गई सरकार, पढ़िए जरूर आखिर क्या है माजरा ?

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सियासत कं रंग भी बड़े अजीब होते हैं। कब कहां और क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। राजनीति में नेता एक-एक कदम कैसे फूंक फूंक के रखते हैं। क्योंकि राजनीति में एक दांव गलत चलते है अर्श से फर्श तक सफर चंद मिनटों में तय हो जाता है। उत्तराखंड में ही ऐसा ही दिलचस्प किस्सा सामने आया। जहां मुख्यमंत्री को अपनी ही चाल उलटी चलनी पड़ी। वो भी महज़ एक घोड़े की मुर्ति से घबराकर।

दरअसल ये मामला जितना गंभीर है उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प भी है। उत्तराखंड में मृत घोड़े शक्तिमान की प्रतिमा को लेकर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। देहरादून के रिस्पना चौक पर पहले तो शक्तिमान की प्रतिमा लगवाई गई और फिर रातोंरात हटा ली गई। तीन दिन पहले शक्तिमान घोड़े की प्रतिमा रिस्पना चौक पर लगवाई गई थी और मंगलवार सुबह चार बजे इस प्रतिमा को हटा लिया गया। ऐसा क्यों हुआ यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कहा जा रहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत को ज्योतिषियों ने शक्तिमान की इस प्रतिमा को हटाने की सलाह दी थी जिसके बाद मूर्ति को आनन-फानन में हटाया गया। गौर हो कि सोशल मीडिया पर शक्तिमान की मूर्ति लगाने को लेकर लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि 2013 की केदारनाथ आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज तक मूर्ति नही लगवाई गई है लेकिन सियासी फायदे के लिए सीएम हरीश रावत ने शक्तिमान घोड़े की प्रतिमा लगाने में देर नहीं की।

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गौरतलब है कि 14 मार्च को विधानसभा के सामने बीजीपी के प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड पुलिस के घोड़े शक्तिमान का पैर टूट गया था। भाजपा विधायक गणेश जोशी पर घोड़े की टांग तोड़ने का आरोप लगा और 18 मार्च की तड़के इस आरोप में जोशी को गिरफ्तार भी किया गया था। पंतनगर और पूना के डॉक्टरों ने शक्तिमान के पैर का ऑपरेशन किया था। ऑपरेशन के बाद शक्तिमान को कृत्रिम टांग लगाई गई। अमेरिका से भी शक्तिमान के लिए कृत्रिम पैर मंगाया गया। एक ऑपरेशन के लिए जब घोड़ को बेहोश किया गया तो 20 अप्रैल को उसकी मौत हो गई थी। शक्तिमान की मौत सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रही थी जिसे लेकर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी।

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