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विडियोकॉन के इस बड़े चंदे पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने शिवसेना को महज 2.83 करोड़ रुपये का चंदा जिया था, ऐसे में साल 2015-16 में 2733% ज्यादा रकम देना किसी के गले नहीं उतर रहा जबकि 2015-2016 में कोई चुनाव भी नहीं हुआ। 2014 में जब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने वाले थे, तब शिवसेना को 25 करोड़ रुपये का चंदा मिला था।
वॉइस ऑफ इंडियन टैक्सपेयर्स की ट्रस्टी और सोशल ऐक्टिविस्ट अंजलि दमानिया ने कहा कि विडियोकॉन को अपनी इस ‘उदारता’ का कारण बताना होगा। अंदलि का कहना है कि वह जानना चाहती हैं कि एक पब्लिक लिमिडेट कंपनी कैसे किसी राजनीतिक पार्टी को इतनी बड़ी रकम चंदे के तौर पर दे सकती है, वह भी तब जब कंपनी पर खुद कर्ज हो।
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