वहीं शहीद परमजीत के बड़े भाई रणजीत सिंह बेहद रुंधे हुए आवाज में कहते हैं, ‘हमें उनकी शहादत पर फख्र है। वह मेरे भाई थे और मैं उन्हें आखिरी बार देख भी नहीं सका। आखिर कितने जवानों के बलिदान के बाद सरकार कोई सख्त कदम उठाएगी? जो लोग कहते हैं कि युद्ध नहीं होनी चाहिए, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि ये भी युद्ध के कुछ कम नहीं हो रहा। हम इस पर विराम क्यों नहीं लगा सकते?
रणजीत इस बात से भी खासे नाराज थे कि उनके भाई की अंत्येष्टि में स्थानीय विधायक को छोड़ कर कोई नहीं आया। उन्होंने कहा, मेरे भाई ने परिवार के लिए नहीं, देश के लिए जान कुर्बान की। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को आज यहां होना चाहिए था। वह सेवा में रहे हैं और हम जिस दर्द से गुजर रहे हैं, उसे उन्हें समझना चाहिए था। सिर्फ वहीं नहीं, सरकार में से किसी के भी पास दुख की इस घड़ी में हमारे साथ रहने के लिए समय नहीं था।
वहीं अंत्येष्टि में शामिल ना होने को लेकर आलोचना झेल रहे सीएम अमरिंदर सिंह ने शहीद के परिवार के लिए पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता और उनके बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकारी खजाने से उठाने की घोषणा की है। इसके साथ ही उन्होंने परमजीत के परिवार में किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी का भी वादा किया है। वहीं राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री 7 मई को शहीद के परिवार से मिलने जाएंगे।