यूपी में ट्रेन दुर्घटनाओं का होना एक आम घटना की हो गयी है। आपको बता दें कि UP में डेढ़ साल में हुए बड़े रेल हादसों में यह चौथी हादसा है। लेकिन न सरकार चेत रही है न रेल प्रशासन। आपको बता दें कि मुजफ्फरनगर के खतौली रेलवे स्टेशन के पास शनिवार को उत्कल एक्सप्रेस के 12 डीब्बे पटरी से उतर गए। जिसमें अभी तक 24 लोगों की मौत हुई है और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। शुरुआती जांच में लापरवाही की बात सामने आई है। शनिवार को उत्कल के ड्राइवर को कॉशन कॉल नहीं मिला। ढीली कपलिंग वाली पटरी पर ट्रेन 105 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गुजरी और पटरी से उतर गई। ऐसी जगह अक्सर रफ्तार 15-20 किमी प्रति घंटा रखी जाती है।
नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर दुख जताया। मोदी ने कहा कि मृतकों के परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं है और मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।
सुरेश प्रभु ने ट्वीट किया, “मैंने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, ट्रैफिक मेंबर्स और दूसरे अधिकारियों को मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए, ताकि राहत और बचाव के काम पर नजर रखी जा सके। घायलों को इलाज पहुंचाने और मदद के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। मेडिकल वैन्स रवाना की गई है।”
“मनोज सिन्हा घटना स्थल की ओर रवाना हो गए है। हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं, वजहों का पता लगाया जाएगा। कोई खामी पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
एडीजी एलओ आनंद कुमार का भी कहना है कि चश्मदीदों के मुताबिक, ट्रैक पर काम चल रहा था और ट्रेन की स्पीड तेज थी। फिलहाल, जांच चल रही है।
वहीं, रिटायर्ड अधिकारी और नॉर्दन रेलवे मेन्स यूनियन (एनआरएमयू) के प्रेसिडेंट एसके त्यागी ने बताया कि, ”रेल होदसों का सबसे बड़ा कारण ये है कि हमारे 40 प्रतिशत ट्रैक आउट डेटेड हैं। इसके अलावा कई रूट ऐसे हैं जिनके ट्रैक अक्सर खराब रहते हैं। इन ट्रैक्स को मेंटेन कराकर चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं ट्रैक को सुबह और शाम जांच का नियम है। लेकिन मैन पावर की कमी की वजह से ये जांच भी नहीं हो पा रही। ऐसे में हादसे तो होंगे ही।”
”ये बातें सारे अधिकारी जानते है, फिर चाहे वो मैनेजमेंट हो या निचले स्तर पर काम कर रहे डीआरएम या अन्य कर्मी। कोई पॉलिसी भी बनती है तो वो फाइल इतनी जगह से घूमती है कि दोबारा मिलती ही नहीं। बस कागजों पर सारी चीजें दी जा रही है।”