नई दिल्ली। भारत में सदियों पुरानी कुप्रथा को तोड़ते हुए गुरुवार(27 अक्टूबर) को वृन्दावन व वाराणसी की करीब एक हजार विधवा महिलाओं ने साढ़े चार सौ वर्ष पुराने गोपीनाथ मंदिर में दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया।
संगठन सुलभ इण्टरनेशनल ने गुरुवार को दोनों धर्म नगरियों के विभिन्न आश्रमों में प्रवास कर रही विधवाओं के साथ चार दिनी प्रकाश पर्व की शुरुआत की। इन विधवाओं ने पहली बार किसी मंदिर में एकत्र होकर हाथों में मिट्टी से बने दीपक और मोमबत्तियां जलाकर दीपों के त्यौहार का आनंद महसूस किया।
वाराणसी से आईं कुछ विधवाओं के साथ-साथ वृन्दावन की ये महिलाएं पति की मृत्यु के पश्चात हंसी-खुशी के इन त्यौहारों से खुद का महरूम कर दिए जाने की भारतीय परंपरा का धता बताते हुए एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटकर बेहद प्रसन्न महसूस कर रही थीं।
यह इस श्रृंखला का चौथा वर्ष है जब वे दिवाली का त्यौहार मना रही हैं। लेकिन इस बार की दिवाली का महत्व भारतीय संस्कृति के केंद्र माने जाने वाले एक प्राचीन मंदिर में प्रकाशोत्सव मनाने का था। वे हाथों में दीपक लिए यमुना किनारे केशी घाट तक गईं और वहां पहुंचकर दीपदान किया।
इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. पाठक ने कहा कि ‘हम इन विधवा महिलाओं के जीवन में खुशियों और उम्मीद की एक किरण लाने के लिए ही इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। इससे इनके जीवन पर लगा परित्यक्तता का दाग हमेशा के लिए मिट जाए और ये सब भी आमजन के समान ही जीवन यापन कर सकें और खुशियां मना सकें।’