उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के संजरपुर गांव में भी सब कुछ वैसा ही है जैसा आमतौर पर एक गांव में होता है। लेकिन इसके साथ इस गांव में खामोशी और खौफ़ भी है। इसकी वजह भी है, क्योंकि इस गांव पर एक इल्जाम है। आरोप लगा है कि इस गांव में ‘आतंकियों की फैक्ट्री’ है। यहां से ‘आतंकी पैदा’ होते हैं। यह इल्जाम उस गांव पर लगा है जिसके सांसद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव है। युवाओं में खौफ ऐसा है कि वे अब गांव से बाहर नहीं जाना चाहते।
दरअसल 19 सितम्बर 2008 से पहले सब कुछ सामान्य था। लेकिन इस दिन सुबह 10.30 बजे करीब दिल्ली के जामिया नगर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा के नेतृत्व में पुलिस ने एक फ्लैट में छापा मारा। इस दौरान दोनों तरफ से फायरिंग हुई जिसमें इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा समेत दो इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी मारे गए। इस एनकाउंटर में तीन आतंकी भागने में कामयाब रहे, जबकि एक पकड़ा गया। पकडे गए आतंकी का नाम शहजाद अहमद था। जिसे 2013 में निचली अदालत ने आतंकी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। शहजाद भी आजमगढ़ जिले का ही रहने वाला है।
संजरपुर के लिए मुसीबतों का पहाड़ तब टूटा जब पुलिस ने मोहम्मद सैफ को दिल्ली स्टेशन से गिरफ्तार किया। सैफ इसी गांव का रहने वाला है और दस भाइयों में चौथे नंबर का है। सैफ पर आरोप है कि वह बटला हाउस एनकाउंटर के दौरान भागे गए आरोपियों में से एक है। इसी तरह इसी गांव के दो अन्य को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस के मुताबिक उन्होंने बटला हाउस एनकाउंटर के दौरान फरार तीनों आतंकियों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन इस गांव वालों को कहना है कि एनकाउंटर ही फर्जी है और देश में मीडिया और राजनैतिक पार्टियां एक समुदाय विशेष को टारगेट कर रही हैं।
आजकल शादाब भाई समाजवादी पार्टी के नेता हैं और इस बार चुनावों में सपा के लिए वोट मांग रहे हैं। शादाब ने बताया कि उनका बेटा सैफ इस समय अहमदाबाद की जेल में बंद है। उन्होंने कहा कि 19 सितम्बर की रात उनके बेटे का फ़ोन आया कि वह घर वापस आ रहा है। लेकिन उसके बाद सूचना आई की पुलिस उसे 13 सितम्बर को दिल्ली ले गई। शादाब कहते हैं कि एनकाउंटर ही फर्जी था। उनका बेटा इतिहास में एमए करने के बाद कंप्यूटर सीखने के लिए दिल्ली गया था। वैसे वो उसे भेजना नहीं चाहते थे। शादाब ने कहा कि इस वारदात के बाद से उनका एक और बेटा डॉ. शाहनवाज भी गायब है। शाहनवाज लखनऊ के मेयो हॉस्पिटल में काम करता था। शादाब के मुताबिक़ 19 तारीख को शहनावाज का फोन आया, “अब्बू बहुत डर लग रहा है। क्या करूं।”उन्होंने कहा इसके बाद से उसका कोई पता नहीं है। अब तो यही कहूंगा न ही लौटे तो अच्छा है। क्योंकि उसके आने से परिवार की भी मुसीबतें बढ़ जाएंगी। इसके अलावा जेल की जिंदगी से मौत बेहतर है।
तीन लड़कों के गिरफ्तारी के अलावा इस गांव के छह और युवा हैं जो गायब हैं। मोहम्मद शाकिर के भाई मोहम्मद साजिद का भी कोई अता-पता नहीं हैं। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक, सभी जगह गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। साजिद का फोटो मांगने पर उन्होंने इनकार कर दिया। शाकिर ने कहा, “उसकी सभी फोटो पुलिस वाले अपने साथ ले गए अब कोई निशानी नहीं बची है।”बता दें यह वही साजिद है जिसकी फोटो एक आईएसआईएस आतंकी से मिलती है।
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