एक पुलिस अफसर ने बताया, ‘कुमार ने एक श्रीधर नाम के शख्स को 5 लाख का कर्ज दिया था। जब डोरीन और श्रीधर की जान-पहचान हुई तो वह उससे अपने पति और उसके संबंधों के बारे में चर्चा की। उसने उससे कुमार की हत्या में मदद मांगी। इतना ही नहीं वह उसका कर्ज माफ करने पर भी राजी हो गई और 30 लाख रुपये की सुपारी देने का फैसला किया। उसने 2 लाख रुपये पेशगी के तौर पर दे भी दिया।’
इसके बाद श्रीधर ने प्रभु से संपर्क किया जो एक पेशेवर अपराधी था। प्रभु ने इस काम में दिनेश, अविनाश और पैट्रिक की मदद मांगी। गैंग ने क्लारा और रेवाती नाम की दो महिलाओं से संपर्क किया जो कुमार की करीबी थीं। दोनों महिलाओं की मदद ने गैंग ने कुमार को कब्रिस्तान के पास बुलाया। जब कुमार और उसके दोस्त वहां पहुंचे तो गैंग ने कुमार की हत्या कर दी जबकि उसका दोस्त किसी तरह भागने में कामयाब रहा। एक पुलिस सूत्र ने बताया कि अगर हत्या की साजिश में क्लारा और रेवाती की भूमिका के बारे में सबूत मिले तो उन दोनों के खिलाफ भी केस दर्ज होगा।































































