जब योगी आदित्यनाथ ने अपने ही घर जाकर मांगी थी भिक्षा

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योगी

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का जन्मदिन है। योगी आदित्य नाथ का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में पांच जून 1972 को हुआ था। यूपी के गोरखपुर संसदीय सीट से लगातार पांच बार सांसद रह चुके योगी आदित्य नाथ मार्च 2017 में सूबे के मुख्यमंत्री बने। वह 21 साल की उम्र में संन्या सी बन गए थे। उनका अपनी मां और बड़ी बहन से काफी ज्यादा लगाव था। योगी ने बताया कि उन्हें अक्षर ज्ञान उनकी मां ने कराया और उनकी बड़ी बहन उन्हें इंग्लिश पढ़ाती थीं। हालांकि संन्यासी बनने के बाद उन्हें संन्यास की परंपरा के अनुरूप अपने घर जाकर भिक्षा मांगनी पड़ी थी। संन्यासी बनने के बाद करीब दो दशकों में वो दो-तीन बार ही अपने परिवार से मिलने गए।

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संन्यास लेने से पहले उन्होंने अपने गुरू अवैद्यनाथ से कुछ प्रश्न पूछे थे। उन्होंने अवैद्यनाथ से पूछा कि क्या “संन्यास का मतलब पलायन है?” उन्होंने गुरु से कहा कि वह संन्यास का मतलब सेवा से जोड़कर देखना चाहते हैं। तब उनके गुरु ने उन्हें फैसले के लिए छह महीने का समय दिया और बाद में उन्हें लगा कि संन्यास का जो सही अर्थ है उसे महंत अवैद्यनाथ जी रहे हैं। तब उन्होंने संन्यास का फैसला लिया।

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योगी आदित्य नाथ के पिता को उनके संन्यासी बनने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जब पिता को कहीं से पता चला तो वो उन्हें खोजते खोजते गोरखपुर पहुंचे। जब उनके पिता गोरखपुर पहुंचे तो आदित्य नाथ गोरखपीठ मंदिर की सफाई की निगरानी कर रहे थे। उन्हें संन्यासी के वेश में देखकर उनके पिता की आंखों में आंसू आ गए। योगी को बच्चों से भी काफी प्रेम है। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वो घर के सभी बच्चों के लिए टॉफी लेकर जाते थे। योगी आदित्य नाथ ने बताया, “सांसद था तो कहीं भी जाता था तो बच्चों को दो-चार किलो टॉफी और लड्डू लेकर जाता था….कभी-कभा चुनाव के दौरान भी ले जाता था…कभी लगता था कि चुनाव आयोग आपत्ति करेगा लेकिन फिर लगा कि बच्चों को वोट देना नहीं है तो आयोग की आपत्ति का मैं जवाब दे दूंगा।”

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