सूत्र बताते हैं कि सीएम अखिलेश यादव सपा पर अपना कब्जा कर सकते हैं। मैनपुरी से सांसद धर्मेन्द्र यादव को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है। पिछले कुछ महीने से शिवपाल को अलग-थलग कर चुके अखिलेश के लिए ये अब कोई बहुत मुश्किल काम नहीं रह गया है। टिकटों के बहाने अखिलेश शिवपाल के कई करीबियों पर भी हाथ रख चुके हैं। राजनीति में तो कहा भी जाता है कि कोई किसी का माई-बाप नहीं होता है।
सपा के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पार्टी एक नए इतिहास की गवाह बनने जा रही है। जिस तरह से वर्ष 1969 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस की कमान अपने हाथ में लेकर देश में एक राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया था वैसा ही कुछ अखिलेश यादव लखनऊ में कर सकते हैं। गुरुवार देर रात अखिलेश और उनके समर्थकों संग हुई बैठक में बनी सहमति के बाद सपा की कमान अपने हाथ में लेकर शिवपाल यादव को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि इंदिरा गांधी ने तो कांग्रेस आई का गठन किया था, लेकिन सपा में ऐसे कोई दो फाड़ नहीं होंगे।
पिछले तीन महीनों में ये भी जगजाहिर हो गया है कि अंदरखाने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का समर्थन अखिलेश के पक्ष में है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी के कई पुराने दिग्गदज भी अखिलेश के समर्थन में खड़े हुए हैं। रामगोपाल यादव सहित घर के तीन बड़ों में से दो अखिलेश यादव के साथ हैं। चचेरे भाइयों और भतीजों की फौज भी अखिलेश के साथ बताई जा रही है। इतना ही नहीं आठ-दस लोगों को छोड़ दें तो टिकट वितरण के बहाने अखिलेश यादव चाचा शिवपाल यादव के दर्जनों लोगों पर हाथ रख चके हैं। इसकी एक बानगी गुरुवार को जारी हुई अखिलेश की सूची भी है। सूची में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जो शिवपाल के करीबी माने जाते हैं।
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सूत्रों की मानें तो दूर-दूर रहने वाले मैनपुरी से सांसद धर्मेन्द्र यादव पिछले एक साथ से सीएम अखिलेश यादव का साया बने हुए हैं। कई कार्यक्रमों में भी उनके साथ नजर आते हैं। दो महीने पहले परिवार में हुई रार के वक्त। भी वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे। इसीलिए कहा जा रहा है कि अगर सपा में इतिहास रचा जाता है तो धर्मेन्दं यादव एक अहम भूमिका में होंगे।