हमेशा सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाकर रहने वाली उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 2017 विधानसभा चुनावों के लिए डिजिटल जगत का जमकर इस्तेमाल करने की तैयारी में है। एक समय था जब मायावती सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी बनाकर रखती थी क्योंकि उनका कहना था कि उनकी बहुजन समाज पार्टी (बसपा या बीएसपी) का मुख्य वोटर तबका ऑनलाइन रहने वाले लोगों का नहीं है।
फोटो: बसपा के फेसबुक पेज से
बीएसपी अगले कुछ दिनों में माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक के अलावा अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर बहुत-से वीडियो और पोस्टर जारी करने जा रही है, जिनका स्लोगन या नारा होगा – ‘बहनजी को आने दो…’
फोटो: बसपा के फेसबुक पेज से
इसके अलावा आने वाले कुछ हफ्तों में मायावती की योजना 50 से भी ज़्यादा रैलियों को संबोधित करने की भी है, लेकिन उनकी पार्टी के नेताओं का कहना है कि आमतौर पर परंपरागत तरीकों से अपने समर्थकों तक पहुंच बनाने की पक्षधर रहीं मायावती के लिए फेसबुक, ट्विटर, व्हॉट्सऐप और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म अतिरिक्त प्रचार का मौका दिलवाएंगे।
फोटो: बसपा के फेसबुक पेज से
हालांकि बीएसपी के ट्विटर और फेसबुक पर एकाउंट पहले से मौजूद हैं, लेकिन वो उतना लोकप्रिय नहीं है जितना अन्य पार्टियां हैं। जहां बीएसपी के ट्विटर हैंडल पर लगभग 10,000 फॉलोअर हैं, जबकि उनके मुकाबले यूपी के सीएम अखिलेश यादव के ट्विटर एकाउंट पर 31 लाख फॉलोअर हैं।
फोटो: बसपा के फेसबुक पेज से
इस अंतर को पाटने में मायवती को कुछ वक्त लग सकता है, क्योंकि इस मामले में समाजवादी पार्टी के साथ-साथ बीजेपी भी बीएसपी की तुलना काफी आगे है। बीजेपी ने अपने लखनऊ कार्यालय में पूरा वॉररूम बना रखा है, जिसमें कॉल सेंटर, सोशल मीडिया रूम और सभी ज़रूरी उपकरण मौजूद हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी फेसबुक और ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हैं, और उनके प्रचार अभियान का थीम है – ‘काम बोलता है…’