कुनबे की कलह में जूझ रहे अखिलेश, मुस्लिम वोटरों को झटकने में लगाी मायावती

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कांशीराम की 10वीं पुण्यतिथि पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सूबे की सत्ता के लिए भाजपा की ओर से रचे गए सियासी चक्रव्यूह की काट की रणनीति का संकेत कर दिया है।

हालांकि, उनकी पूरी रणनीति सपा की पारिवारिक कलह, कांग्रेस की कमजोरी और दलित व मुस्लिमों की एकजुटता पर टिकी हुई है। इसमें कोई भी उम्मीद से हटकर सामने आया तो चुनौती आसान नहीं होगी। इस फार्मूले की तमाम सीमाएं सामने हैं।

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पिछले एक दशक से सूबे की सियासत में फर्श पर पड़ी भाजपा ने केंद्र की सत्ता में आने के बाद यूपी फतह को लेकर चक्रव्यूह रच दिया है। दूसरे दलों के प्रभावशाली नेताओं को अपनी पार्टी में लाना, मतदाताओं में बड़े दलित वर्ग को साधने के लिए धम्म चेतना यात्रा और डॉ. अंबेडकर से जुड़े कार्यक्रमों, गतिविधियों पर फोकस के साथ संगठन की जमीनी सक्रियता बढ़ाना शामिल है।

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इसका सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को हुआ है तो वह बसपा है। उसके कई प्रमुख नेता भाजपा में गए हैं। सेना की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ने गैर भाजपा दलों की चुनौती मनोवैज्ञानिक तौर पर बढ़ा दी है।

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