सूबे के अधिकारी भी अपना रंग बदलते दिख रहे हैं। मायावती के शासन में बने स्मारक 2012 के बाद सुनसान दिखने शुरू हो गये थे। कहीं दीवारें टूट रही थीं, तो कहीं गेट। चार साल से अधिक समय से नज़रअंदाज़ होने के बाद अब एक बार फिर अधिकारियों को इसकी चिंता सताने लगी है।
पानी के लिए एक करोड़ की प्लम्बरिंग का सामान आ चुका। गेट और प्लंबरिंग का काम स्मारक समिति की ओर से किया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इन सभी कामों को 11 मार्च से पहले पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आला अधिकारी जल्दी काम पूरा करने का दबाव बनाए हुए हैं। उन्होंने चुनाव नतीजे आने से पहले स्मारकों को दुरुस्त करने का आदेश दिए गए हैं।