बिहार में पिछले कुछ समय से नीतीश कुमार के भाजपा से अंदरखाने हाथ मिलाने की अफवाहें रह-रह कर हवा में तैर रही हैं। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार का प्रचार के लिए न जाना और जदयू का पूरे राज्य में एक भी उम्मीदवार न उतराने के पीछे भी जदयू और भाजपा के अंदरखाने सांठगांठ के आरोप लग रहे हैं।
बिहार जदयू के नेता और खुद सीएम नीतीश यूपी में प्रचार न करने और प्रत्याशी न उतारने के पीछे धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा रोकने की दलील दे रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बयान दिया कि ‘‘हम चाहते हैं कि यूपी मे सांप्रदायिक शक्तियों की हार हो और सेक्यूलर फोर्स जीतकर सरकार बनाएं। चुनाव मैदान में हमारे उतरने के बाद सेक्यूलर वोट बंट जाएगा और इस तरह भगवा जमात जीत दर्ज कर लेगी।’’ लेकिन बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले इसमें दूसरा ही मकसद देख रहे हैं।
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