उत्तरप्रदेश में 403 सीटों में से 325 सीटों पर फतह हासिल कर.. प्रचंड बहुमत हासिल करने वाली बीजेपी ने जीत के सारे रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं। अब पार्टी में सबसे बड़ी असमंजस इस बात को लेकर है कि आखिर यूपी के सीएम के पद पर किसे बिठाया जाए। क्या कोई अनुभवी चेहरा इसका दावेदार होगा या फिर गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा की तर्ज पर कोई नाम चेहरा यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेगा। इस बात पर उत्तरप्रदेश के साथ-साथ देशभर की जनता की नज़रें टिकी हैं। बताया जा रहा है कि रिजल्ट के दिन से ही बीजेपी भी इस बात पर गहन चिंतन कर रही है कि आखिर यूपी में सीएम किसे बनाया जाए। क्योंकि बीजेपी के वफादार नेताओं की लाइन काफी लंबी है पर इस वफादारी का असली हकदार कौन होगा और किसी बीजेपी जीत का सबसे ज्यादा श्रेय देगी इसका फैसला अब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को लेना है। कहा जा रहा है कि यूपी में मुख्यमंत्री के चेहरा 14 मार्च के बाद साफ होगा।
चुनाव बाद होली का त्योहार पड़ जाने की वजह से पार्टी ने अपने नेताओं को होली और जीत का जश्न मनाने की छूट दे दी थी। अब माना जा रहा है कि होली के बाद विधायक दल की जल्द बैठक की जाएगी जिसमें सबकी राय जानने का प्रयास पार्टी के पर्यवेक्षकों द्वारा किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इस काम के लिए पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक सभी विधायकों से बात करेंगे और फिर वह अपनी रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को देंगे। पार्टी में यह साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री पद का फैसला पार्टी का संसदीय बोर्ड करेगी।
वैसे जानकारी के लिए बता दें कि इस चुनाव में जीत का सेहरा पार्टी अध्यक्ष पर ही पार्टी नेताओं ने बांधा है। इतना ही नहीं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस जीत का सेहरा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और उनकी रणनीति को दिया है। इसलिए पार्टी ने सीएम पद के चेहरे पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकारी भी पार्टी अध्यक्ष पर छोड़ दिया है। यह बात संसदीय बोर्ड के सदस्य भी कह रहे हैं।
पार्टी के नेता भी यह बता रहे हैं कि यूपी में भी पार्टी किसी ऐसे चेहरे पर दांव खेलना चाहती है जो बहुत ज्यादा चर्चित न रहा हो। पार्टी झारखंड और हरियाणा में ऐसा पहले भी कर चुकी है। अब यूपी में भी ऐसा ही होने की संभावना है। कहा जा रहा है कि पार्टी यूपी के लिए भी पार्टी के किसी वरिष्ठ विश्वनीय नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुने।
बता दें कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री की मौजूदगी में संसदीय बोर्ड की बैठक हुई थी। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली समेत दूसरे सदस्य उपस्थित थे। कहा जा रहा है कि लगभग आधे घंटे तक चली इस बैठक में किसी नाम पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन इस काम को अंजाम देने के लिए पर्यवेक्षक का नाम तय किया गया।
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ऐसा नेता चुनना चाहती है जिसका पार्टी में भी कोई विरोध न हो और जो राज्य की कमान भी अच्छे से संभाल सके। इसके लिए पार्टी ऐसे नेता का चयन करना चाहती है जो प्रशासनिक अनुभव भी रखता हो। ऐसा ही नेता पार्टी उत्तराखंड के लिए भी चुनना चाहती है।
इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, सुरेश खन्ना, दिनेश शर्मा, महेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य, हृदयनारायण दीक्षित जैसे कई नेता इस लिस्ट में आते हैं।
अब इस सारी बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जब खुद प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन से इसका संकेत दिया। उन्होंने कहा था- ‘कई ऐसे चेहरे आए हैं जिसे कोई नहीं जानता, कभी अखबारों की सुर्खियों में नहीं आए। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि वह आपकी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। उनके इरादे में कोई खोट नहीं होगी।’