मेरठ: प्रदेश की गरमाती सियासत के बीच बगावत की आशंकाओं ने पार्टियों की धड़कन बढ़ा दी है। विधानसभा चुनावों में सबसे कड़ी परीक्षा देने उतर रही रालोद ने भी पार्टी के अंदर उठ रही सुगबुगाहटों को भांपना शुरू कर दिया है। गठबंधन के लिए आतुर रालोद को तमाम सीटें कुर्बान करनी पड़ सकती हैं, ऐसे में विरोध के सुर तेज होने की आशंका से कार्यकर्ता भी इंकार नहीं कर रहे हैं। मेरठ में जयंत ने भी टिकट बंटवारे से पहले चौ. अजित सिंह के आदेश को मानने की नसीहत देकर इस आशंका को बल दिया है।
गठबंधन और सियासी लाभ लेने की आतुरता में ही रालोद ने वेस्ट यूपी में अपनी जमीन गंवाई। प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर जहां सभी राजनीतिक दल अब हरकत में आए हैं, वहीं रालोद 2014 से चुनावी माहौल बना रही है। जयंत ने सपा के साथ गठबंधन का संकेत देने के साथ ही पार्टी
कार्यकर्ताओं को पुरानी यादों से उबरने की भी नसीहत दे दी। माना जा रहा है कि अगर सपा से रालोद का हाथ मिला तो मेरठ में रालोद की सबसे उर्वर सीट सिवालखास और किठौर गंवानी पड़ेगी। इन सीटों पर सपा के विधायक हैं, ऐसे में बंटवारे में रालोद का दावा कमजोर होगा। जबकि इन सीटों पर रालोद के दर्जनों दावेदार लंबे समय से तैयारी कर रहे हैं। सिवाल में गत विधानसभा चुनावों में मामूली अंतर से हारे यशवीर सिंह के अलावा कई अन्य दिग्गज ताल ठोक रहे हैं, जबकि किठौर में कुछ दावेदार चौ. अजित सिंह को चौंकाने वाला परिणाम देने का भरोसा दे चुके हैं।