बिजली, पानी और शौचालय..इंसान की मूलभूत जरूरतें हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश को आजाद हुए 70 साल बीच चुके हैं, बावजूद इसके हमारे गांवों से अंधेरा नहीं मिटा। उत्तराखंड गठन को 16 साल बीत गए बावजूद इसके सरकार आज तक सूबे के गांवों में बिजली मुहैया नहीं करा पाई। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज भी उत्तराखंड के 82 गांवों में बिजली नहीं है।
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन का दावा है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक महज 37 गांव ही बिना बिजली के बचेंगे।गौरतलब है कि 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड एक अलग राज्य के रूप में उभरकर सामने आया। लेकिन उत्तराखंड पॉवर कॉरपोरेशन के आंकडों के मुताबिक राज्य गठन के 16 साल बाद भी 82 गांव बिजली से महरूम हैं।
यूपीसीएल के प्रवक्ता पीसी ध्यानी का दावा है कि हाल ही में 5 गांव बिजली से जुडे हैँ और 5 और गांव अक्टूबर यानि इसी महीने बिजली से रोशन हो जाएंगे। ध्यानी का कहना है कि पहाड़ की विषम परिस्थितियों के चलते इन गांव में बिजली नहीं पहुंच पाई थी, लेकिन उनका दावा है कि चालू फाईनेंसियल ईयर में 35 और गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। प्रवक्ता का कहना है कि यूपीसीएल इन वंचित गांवों में पावर ग्रिड, सोलर एनर्जी से जोडकर जल्द से जल्द बिजली से रोशन करने तरफ बढ रहा है।