चीन प्रदूषण में दिल्ली को दे रहा मात, हमे सीखने की जरूरत

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चीन में 2015 में रहा हाई अलर्ट

ये कॉरिडोर शहर के पार्कों, नदियों, झीलों, हाईवे और ग्रीन बेल्ट्स और छोटे-छोटे मकानों को आपस में जोड़ेगी, जहां साफ हवा प्रवाहित की जाएगी। सिन्हुआ के मुताबिक, बीजिंग के अलावा शांघाई और फुजोऊ में भी इसी तरह के कॉरिडोर बनाए जाएंगे। बीजिंग में गाड़ियों की सघन चेकिंग की जा रही है। प्रदूषण मानकों के खिलाफ वाहन तलाने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का भी प्रबंध है। चीन के इन प्रयासों से वहां प्रदूषम स्तर में काफी कमी आई है। आपको बता दें कि 2013 में चीन ने प्रदूषण को लेकर एक वार्निंग सिस्टम अपनाया था। 2015 में चीन में प्रदूषण को लेकर हाई अलर्ट रहा। स्कूलों को बंद रखा गया। कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाई गई और ऑड-इवेन फॉर्मूले के तहत सड़कों पर से गाड़ियों को कम किया गया। यही नहीं इस साल चीन ने बीजिंग की सड़कों पर से 10 साल पुरानी लगभग साढ़े तीन लाख कारों को हटाने में सफलता पाई। लोगों को नई कार खरीदने में सरकार ने पैसों की मदद दी और पुरानी कारों को रिप्लेस करवाया।

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इस कदम से चीन सरकार को बीजिंग की हवा में 40,000 टन प्रदूषित कणों के घुलने से रोकने में सफलता मिली। राजधानी में प्रदूषण के सबसे बड़े कारक वाहन हैं। मगर, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर होने वाली कार्रवाई पर नजर डालें तो वह नाकाफी है। प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह सिर्फ वाहनों की संख्या नहीं है, बल्कि वह कामर्शियल वाहन हैं, जो कि ओवरलोड होकर दिल्ली की सड़कों पर फर्राटा भरते हैं। वह एक सामान्य ट्रक से पांच गुना ज्यादा प्रदूषण तत्व हवा में फैलाते हैं। राजधानी में कूड़े के निपटान की पुख्ता योजना नहीं होने के कारण चारों सैनटरी लैंडफिल विभिन्न कारणों से परेशानी का सबब बने हुए हैं। एक ओर उनमें कूड़े के ढेर ने मीनारों का रूप ले लिया है जो राजधानी के चेहरे पर एक बहुत बड़ा दाग हो चुका है। इसके अलावा आए दिन चारों सैनेटरी लैंडफिलों पर आग लगने की घटना से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है।

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