जानिए खाड़ी देशों में कैसे बीतता है गैर रोजेदार लोगों का दिन

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एक ग़ैर-मुस्लिम के लिए रमज़ान के महीने में मुस्लिम देशों में रहना कितना सहज या फिर असहज होता है, इसे जानने की उत्सुकता भारत में बैठे किसी ग़ैर-मुस्लिम को जरूर हो सकती है. चूंकि इन देशों में बहुसंख्यक आबादी रोज़े में होती है इसलिए ग़ैर-रोज़ेदारों को इसका ख़ास तौर पर ख्याल रखना पड़ता है और एक महीने के लिए अपनी कई आदतें नियंत्रण में रखनी होती है.स्थानीय मीडिया के मुताबिक खाड़ी के मुस्लिम देशों की सरकारों ने तो नियम भी बना रखा है कि अगर कोई सार्वजनिक जगह पर खाते-पीते हुए देखा गया तो उसे वापस उसके मुल्क भेज दिया जाएगा.

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दुष्यंत सिंह भारत के बुलंदशहर के रहने वाले हैं और तीन सालों से दुबई में नौकरी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कैसे बीतता है रमज़ान के दौरान वहाँ एक ग़ैर-मुस्लिम का दिन. “सुबह सेहरी के बाद यहां ग़ैर-मुस्लिम अपने मेस से बाहर चाय, कॉफी या कुछ भी खाने-पीने का लेकर बाहर सार्वजनिक जगह में नहीं आ सकते हैं.सरकार ने भी सार्वजनिक जगहों पर खाने-पीने पर पाबंदी लगा रखी है. सेहरी के बाद और इफ़्तार से पहले जो भी खाना-पीना होता है, वो हम कमरे के अंदर ही कर सकते हैं. इस दौरान हम बाहर कुछ नहीं खा सकते हैं. इस दौरान हम बाहर जाकर सिगरेट या कोल्ड ड्रिंक भी नहीं पी सकते हैं. रेस्तरां के अंदर हम बैठकर कुछ खा-पी नहीं सकते हैं. हां रेस्तरां बंद नहीं होता है. आप खाना पैक करा कर घर ले जा सकते हैं.

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कुछ रेस्तरां यहां ऐसे भी हैं जो अंदर तो इजाज़त देते हैं खाने-पीने की, लेकिन खाना लेकर बाहर सार्वजनिक जगहों पर नहीं जाने देते हैं. गाड़ी के अंदर बैठकर भी खाया जा सकता है. इससे हमें कोई समस्या नहीं है. सही पूछिए तो रमजान के वक्त हमें भी बहुत अच्छा लगता है. हमारा वर्किंग टाइम भी थोड़ा कम हो जाता है. हम लोग ख़ुद भी बचते हैं रोज़ेदारों के सामने खाने-पीने से. कभी ग़लती से चले भी जाए तो हमें ख़ुद एहसास होता है कि हमने ग़लती की है.”

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(खबर इनपुट बीबीसी हिंदी. मूल खबर पढ़्ने के लिए यहां क्लिक करें)