भोपाल : क्या मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन होने की एक वजह नोटबंदी भी है? प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा है कि नोटबंदी के बाद नकदी रहित लेन-देन को बढ़ावा दिए जाने ने किसानों की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है। इसके अलावा बिजली संकट और सीमित मात्रा में बेचे जा रहे ‘डोडा चूरा’ की बिक्री पर सरकार द्वारा बैन लगाना कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन पैदा हुआ है। गौरतलब है कि अफीम की खेती से डोडा चूरा निकलता है और इसका सेवन करने से नशा होता है। इसका उपयोग कुछ दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है।
पश्चिमी मध्यप्रदेश के इस अधिकारी ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा, ‘केंद्र और राज्य सरकार ने पिछले दो साल से मंदसौर और नीमच जिले के किसानों के डोडा चूरा बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसने हजारों किसानों विशेष रूप से मजबूत माने जाने वाले पाटीदार समुदाय के लोगों को बेरोजगार बना दिया है।’ उन्होंने कहा कि प्रतिबंध लगाने से पहले प्रदेश सरकार डोडा चूरा की खेती और बिक्री को अवैध नहीं मानती थी, लेकिन अब सरकार इस मादक पदार्थ को अवैध मानकर नष्ट कर रही है।
अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी के बाद राज्य सरकार मंडियों में किसानों को उनकी उपज का डिजिटल भुगतान कर रही है, इसने भी किसानों की समस्याओं को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इसके चलते किसानों के पास नकद पैसे की कमी हो गई है। अधिकारी ने कहा कि इसके अतिरिक्त किसान द्वारा पैदा की गई उपज की लागत भी अब दो कारणों से बहुत ज्यादा हो गई है। इनमें से एक कारण बिजली आपूर्ति में आई गिरावट है जबकि दूसरा कारण उर्वरकों की कालाबाजारी है। उन्होंने कहा कि बिजली की कमी के कारण सिंचाई के लिए किसान डीजल से चलने वाले पंपों का उपयोग कर रहे हैं। अगर किसान बिजली के बिल का तुरंत भुगतान करने में चूकता है तो क्षेत्र की बिजली वितरण करने वाली कंपनी किसानों का बिजली कनेक्शन काट देती है। इसके अलावा प्रदेश में भ्रष्टाचार के चलते किसान कालाबाजारी करने वालों से उर्वरक बहुत ऊंचे दामों पर खरीद रहे हैं। इससे उनकी कृषि उपज की लागत बढ़ गई है।
































































