राष्ट्रपति बनने के बाद डॉनल्ड ट्रंप परंपरा के मुताबिक दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ फोन पर बातचीत कर रहे हैं। इस परंपरा का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नए राष्ट्रपति के कार्यकाल में विदेशी व द्विपक्षीय संबंध प्रगाढ़ हों। ट्रंप भले ही इस परंपरा को निभा रहे हों, लेकिन उनका व्यवहार कई मायनों में बिल्कुल अलग है। ताजा उदाहरण ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मालकम टर्नबुल के साथ फोन पर हुई उनकी बातचीत है। ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है। दोनों देशों के मजबूत संबंधों को देखते हुए इस बातचीत के बेहद सकारात्मक और दोस्ताना होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
शरणार्थियों को लेकर ओबामा प्रशासन और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक समझौता हुआ था। ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ में छपी एक खबर के मुताबिक, टर्नबुल ने जब उन्हें इस वादे की याद दिलाई, तो ट्रंप ने PM टर्नबुल को काफी खरी-खोटी सुनाई। साथ ही, उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मिली अपनी भारी-भरकम जीत का भी टर्नबुल के सामने बढ़-चढ़कर बखान किया। इस बात की जानकारी अमेरिकी अधिकारियों ने दी है। ट्रंप और टर्नबुल के बीच की इस बातचीत के लिए एक घंटे का समय तय था, लेकिन 25 मिनट बाद ही ट्रंप ने एकाएक फोन काट दिया।
जानकारी के मुताबिक, ट्रंप ने PM टर्नबुल से कहा कि उन्होंने उनके अलावा 4 राष्ट्राध्यक्षों को भी फोन किया। ट्रंप ने बताया कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ भी बातचीत की है। यह सब कहने के बाद ट्रंप ने टर्नबुल से कहा, ‘उन सभी फोन कॉल्स की तुलना में आपसे की गई मेरी बातचीत सबसे खराब रही है।’ ट्रंप का यह व्यवहार वैसा ही है, जैसा कि वह अपने राजनैतिक विरोधियों और मीडिया संगठनों के खिलाफ करते हैं। टर्नबुल ने ट्रंप को अमेरिका के उस वादे की याद दिलाई, जिसमें कहा गया था कि ऑस्ट्रेलिया के एक डिंटेशन सेंटर में रह रहे 1,250 शरणार्थियों को US अपने यहां आने देगा। इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, ‘यह अबतक की सबसे खराब डील है।’ ट्रंप ने टर्नबुल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह ‘बोस्टन पर अगला बम हमला करने वालों’ को अमेरिका में निर्यात करने की कोशिश कर रहे हैं।