श्रीलंका में जबरदस्त बारिश के चलते आई भारी बाढ़ और भूस्खलन से 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है 1970 के दशक के बाद की आई इस सबसे प्राकृतिक आपदा में 110 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
दक्षिण पश्चिम मॉनसून द्वारा सैकड़ों घरों को तबाह करने और कई सड़कों को काट देने की वजह से सात जिलों में 20,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। आपदा प्रबंधन केंद्र के उप मंत्री दुनेश गनकंडा ने कहा कि वर्ष 1970 के बाद ये सबसे खराब बारिश है।
उन्होंने कहा, हम कुछ क्षेत्रों में राहत अभियान चला रहे हैं जबकि कई क्षेत्रों में हम पहुंच भी नहीं पा रहे हैं। गनकंडा ने बताया कि दक्षिणपूर्वी रत्नपुर में लोग पेड़ के ऊपर चढ़कर पनाह लिए हुए हैं।
सरकार ने बचाव कार्य के लिए सेना की मदद ली है। हेलीकॉप्टरों व नावों के जरिये जवान फंसे लोगों को निकाल रहे हैं। मानसून की पहली बारिश ने ही सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है। पुलिस प्रवक्ता प्रियंथा जयकॉडी का कहना है कि केलुटारा में पांच जगहों पर भूस्खलन की खबर है।
सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिमी सीमा पर हुआ है। केलुटारा में 38 मौत होने की खबर हैं जबकि रत्नापुरा में 40 लोग मौत के मुंह में समा गए। सेना के प्रवक्ता का कहना है कि बचाव कार्य के लिए चार सौ जवान जुटे हैं। उधर, मौसम विभाग ने बताया कि 2003 के बाद ऐसी बारिश नहीं देखी गई। दक्षिण-पश्चिमी मानसून के सक्रिय होने की वजह से माना जा रहा है कि बारिश अभी और ज्यादा होगी।
भारत ने भेजी मदद
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत श्रीलंका में बाढ़ और भूस्खलन से हुए जान-माल की हानि पर शोक प्रकट करता है। हम श्रीलंकाई भाइयों और बहनों के साथ हैं। हमारे जहाज राहत सामग्रियों के भेजे जा रहे हैं। राहत सामग्रियों का पहला जहाज शनिवार और दूसरा रविवार को कोलंबो पहुंचेगा।’
श्रीलंका में तुरंत राहत पहुंचाने के लिए बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से में तैनात आईएनएस किर्च को कोलंबो की ओर रवाना कर दिया गया है. इसके अलावा कपड़े, दवाई और पानी जैसी जरूरी चीजों के साथ आईएनएस जलाश्व भी विशाखापत्तनम से रवाना होगा। इन जहाजों में राहत सामग्री के साथ मेडिकल टीमें और हेलिकॉप्टर भी कोलंबो भेजे जा रहे हैं।
खबरों के मुताबिक गाले सबसे बुरी तरह प्रभावित जिला है, जहां 7,157 लोग इससे प्रभावित हुए हैं।