ISIS के चंगुल से छूटी महिला ने सुनाई खौफ़नाक दास्तान, कहा ‘रोज करते थे रेप, काश जान से ही मार दिया होता’

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खूंखार आतंकी संगठन ISIS के हाथों पकड़े जाने और दासी के तौर पर बेचे जाने के 3 साल बाद नादिया मुराद गुरुवार को उत्तरी इराक के अपने यजीदी गांव लौटने पर भावुक हो उठीं। जब वह गांव के स्कूल के पास पहुंचीं तो बरबस उनकी आंखों से आंसुओं के सैलाब उमड़ पड़े। यह वही स्कूल था जिसमें 3 साल पहले ISIS के दरिंदों ने कोजो की पूरी आबादी को बंधक बना रखा था। आतंकियों ने महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग करके पुरुषों को मार डाला। बंधक महिलाओं के साथ हैवानियत की सारी हदें पार की गईं। इस जुल्म को संयुक्त राष्ट्र ने अल्पसंख्यक यजीदियों के खिलाफ नरसंहार बताया है।

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मुश्किल से अपने आंसूओं पर काबू पाते हुए नादिया ने पत्रकारों की मौजूदगी में कहा, ‘काश! हमें बेचे जाने और सीरियाइयों, इराकियों… ट्यूनिशियाइयों और यूरोपवासियों द्वारा रेप किए जाने बजाय पुरुषों की तरह ही मार डाला गया होता।’ नादिया ने आगे कहा, ‘आज गांव कब्रिस्तान बन चुका है जो चारों तरफ से सामूहिक कब्रों से घिरा हुआ है।’

नादिया मुराद को एक अन्य यजीदी महिला लमिया अली बशर के साथ यूरोपीय संसद की तरफ से सखारोव सम्मान दिया गया है। 24 साल की हो चुकीं नादिया को ISIS आतंकी इराक में अपने गढ़ मोसुल ले गए थे। नवंबर 2014 में वह किसी तरह ISIS के चंगुल से भागने में कामयाब हो गईं। उन्होंने 2015 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपनी दास्तां बयां किया था। तभी से वह यजीदियों के लिए संघर्ष कर रही हैं। वह शरणार्थियों और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद कर रही हैं।

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दूसरी तरफ, बशर (19) को भी ISIS ने नादिया के साथ ही पकड़ा था और उन्हें भी सेक्स स्लेव बनाकर रखा गया था। बारूदी सुरंग में विस्फोट की चपेट में आने से उनका शरीर विकृत हो चुका है और एक आंख की रोशनी भी जा चुकी हैं। हालांकि वह विस्फोट के बाद आतंकवादियों को किसी तरह चकमा देकर बच निकलने में कामयाब हुईं।

यजीदी समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि अभी भी 3 हजार से ज्यादा महिलाएं ISIS के कब्जे में हैं और उन्हें सेक्स स्लेव बनाकर रखा गया है। कोजो उन गांवों में से एक है जिन्हें पिछले दिनों इराकी सेना, कुर्द और शिया लड़ाकों की टीम ने ISIS के कब्जे से मुक्त करा लिया है। अमेरिका समर्थित कुर्द लड़ाकों ने 2015 में सिंजर क्षेत्र के यजीदी बहुल गांवों से ISIS को खदेड़ दिया था। दरअसल, यजीदी इराक का धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय है। इस समुदाय की आबादी करीब 4 लाख है, जिनका मत प्राचीन मध्य पूर्व इलाकों में प्रचलित तमाम तरह के मतों का मिश्रण है। हालांकि ISIS के आतंकी उन्हें शैतान का उपासक समझते हैं।

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