‘संविधान के दायरे में नहीं हो सकती है बात’ – कश्मीरी अलगाववादी

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कश्मीरी अलगाववादियों ने प्रतिनिधिमंडल से कहा है कि संविधान के दायरे में रहकर कोई बातचीत नहीं हो सकती।कश्मीर में अशांति के दौर को खत्म करने के प्रयास के तहत वहां पहुंचे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अलगाववादियों से नहीं मिल पाए। प्रतिनिधिमंडल ने अलगाववादियों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उनके संपर्क के प्रयासो को विफल कर दिया गया। प्रतिनिधिमंडल जब यासीन मलिक से मिलने पहुंचे तब लोगों ने उन्हें घेर लिया और खूब नारेबाजी की। यासीन मलिक ने कहा, ‘हमारे पास मत आईए, जाइए अपने आप देखिए, क्या स्थिति है।’

मिलने गए नेताओं में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा नेता डी राजा, जदयू नेता शरद यादव और राजद के जयप्रकाश शामिल थे। समूह सबसे पहले जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक से मुलाकात करने के लिए गये जो हुमामा में बीएसएफ शिविर में हिरासत में है। मलिक ने सांसदों से कहा कि जब गृह मंत्री का कहना है कि बातचीत भारतीय संविधान के दायरे के भीतर की जाएगी तो क्या है बात करने के लिए। मेरे पास आने के बजाय बाहर जाये और देखे।

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मलिक ने यह भी कहा कि बातचीत को भारतीय संविधान के दायरे के तहत आयोजित नहीं किया जा सकता कि। यह हमारी नीति है, हम भारतीय संविधान के दायरे में बात नहीं करेंगे। आप गृह मंत्री के नेतृत्व में एक बड़ेे प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं, जो भारतीय संविधान के दायरे में बात करना चाहता है और यह हमारे लिए संभव नहीं है।

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इसके बाद चारो सांसद सैयद अली शाह गिलानी से मिलने के लिए हैदरपुरा उनके आवास पर गए जहां वह पिछले 60 दिनों से नजरबंद हैं। गिलानी ने यह कह कर उनसे मिलने से इनकार कर दिया कि इनका कोई फायदा नहीं। गिलानी ने इन सांसदों के लिए घर का दरवाज़ा भी नहीं खोला। गिलानी ने उन्हें खिडकी से देखा लेकिन सांसदों से मिलने से इनकार कर दिया।

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समूह ने हुर्रियत के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल गनी से भी मुलाकात का प्रयास किया लेकिन गनी ने भी उनसे बात करने से इनकार कर दिया। गनी ने नेताओं का स्वागत किया लेकिन स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय किया गया है कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ कोई बातचीत नहीं होगी।

अगले पेज पर पढ़िए – क्या हुआ जब प्रतिनिधिमंडल मीरवाइज उमर फारूक से मिलने पहुंचा

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