हार्ट अटैक के बाद ECMO पर अम्मा, जानिए कैसे काम करता है ये सिस्टम

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जयललिता

ढाई महीने से बीमार चल रही जयललिता को रविवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था। उनकी नाज़ुक हालत के चलते उनके समर्थक अस्पताल के बाहर पहुंच गए हैं और उनके जल्दी स्वस्था होने की कामना कर रहे हैं। अम्मा की नाज़ुक हालत के चलते उन्हें रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। केंद्र ने उनके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम चेन्नई भेजी है और हर संभव सहता करने का भी विश्वास दिलाया है।

कार्डिएक अरेस्ट के बाद जयललिता को ईसीएमओ (एक्स्ट्रा कॉरपोरियल मेंब्राना आक्सिजेनेशन) के सहारे रखा गया है। ईसीएमओ लाइफ सपोर्ट सिस्टम की मदद करने वाला एक यंत्र है जिसकी मदद से फेफड़े या दिल के काम न करने की स्थिति में कृत्रिम तौर पर रोगी को ऑक्सीजन दी जाती है। चेन्नई स्थित अपोलो अस्‍पताल के अनुसार कार्डियोलॉजिस्‍ट, पल्‍मोनोलॉजिस्‍ट और क्रिटिकल केयर स्‍पेशलिस्‍ट्स सीएम जयललिता की सेहत पर सतत निगरानी रखे हुए हैं। अस्पताल की बुलेटिन की अनुसार लंदन के डॉक्‍टर रिचर्ड बैली से भी इस बाबत परामर्श लिया गया है।

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जानते हैं कि आखिर ये ईसीएमओ क्या है?

1. ईसीएमओ का मतलब होता है एक्स्ट्रा कॉरपोरल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन। यह हार्ट असिस्ट डिवाइस है।

2. यह ऐसी मेडिकल प्रक्रिया है जिसे मरीज के शरीर के बाहर से ही अपनाई जाती है। यानी इसमें ऑपरेशन जैसी कोई चीज नहीं होती है।

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3. मरीज को इसकी जरूरत तब पड़ती है जब उसके हार्ट और फेफड़े उतनी मात्रा में ऑक्सीजन पैदा नहीं कर पाते जिससे मरीज जिंदा रह सके।

4. ईसीएमओ की प्रक्रिया तभी शुरू करनी होती है जब हार्ट या फेफड़े काम करना बंद करने लगते हैं और जिन्हें किसी और तरीके से संभालना मुश्कि‍ल हो।

5. इस प्रक्रिया में हार्ट असिस्ट डिवाइस मरीज के शरीर से ब्लड को निकालता है, खून में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को खत्म करता है और लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन पंप करता है जिससे जीवनदायी रक्त मरीज के शरीर में पहुंचे और वह जिंदा रह सके।

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6. यह खून मरीज के शरीर में सीधे तौर पर पंप किया जाता है जिससे शरीर एनर्जी पहुंचे क्योंकि हार्ट और फेफड़े ब्लड पंप करने का काम नहीं कर पाते जिससे आदमी जिंदा रहता है।

7. श्वसन तंत्र के काम नहीं करने पर मरीज को ईसीएमओ पर रखने के बाद उसके बचने की काफी संभावना होती है। एक अध्ययन के मुताबिक ऐसी स्थ‍िति में 50 से 70 फीसदी मरीज बच जाते हैं।