पढ़िए -कैसे PM मोदी के सपनों को चूर कर रहा है रिलायंस का ‘फ्री-जियो’

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जियो
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मुकेश अम्बानी ने जब रिलायंस ‘जियो’ सेवा शुरू की तब इसके विज्ञापन में खुद पीएम मोदी की फोटो लगाकर इसे उनका सपना पूरा करने जैसा बताया गया लेकिन जियो के असर ने प्रधानमंत्री मोदी के 2 करोड़ रोजगार देने सपने को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। रिलायंस जियो के आने बाद भारतीय टेलीकॉम सेक्टर सबसे बड़े उठापटक के दौर से गुजर रहा है।

सरकार मोबाइल ऑपरेटरों से लाइसेंस फीस और स्पैक्ट्रम यूसेज चार्ज लेती है जो रेवन्यू के आधार पर तय होती है। टेलिकॉम कमीशन ने जो नोट तैयार किया है, उसमें जियो की 90 दिनों से अधिक समय तक की फ्री सर्विस का जिक्र है। इसमें लिखा है, ‘रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने 5 सितंबर 2016 को सर्विस शुरू की थी और उसने पहला प्रमोशनल ऑफर 31 दिसंबर 2016 तक के लिए दिया था। यह ऑफर 90 दिनों से अधिक समय का था।’

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सरकार को इतना बड़ा नुकसान इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार टेलीकॉम ऑपरेटर से जो स्पैक्ट्रम यूसेज चार्ज लेती वह उसके रेवेन्यू के आधार पर होता है और जब जियो ने इतने दिनों में कमाई की ही नही तो वह सरकार को रेवेन्यू कहाँ से देगा।

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टेलीकॉम कमीशन ने ट्राई को लिखे नोट में यहाँ भी कहा है कि टेलिकॉम कंपनियों से सरकार को स्पैक्ट्रम का 1 लाख करोड़ रुपया वसूलना है। वहीं, बैंकों ने उन्हें 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है। नोट में लिखा है, ‘अगर यही ट्रेंड बना रहा तो इससे इंडस्ट्री की इस पैसे को चुकाने की क्षमता पर असर पड़ेगा। ऐसे में कंपनियों के स्पैक्ट्रम पर पेमेंट के मामले में डिफॉल्ट से इनकार नहीं किया जा सकता।’

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अगरे स्लाइड में पढ़ें- जियो ने कैसे टेलिकॉम कम्पनियों को किया बर्बाद !

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