कश्मीर की जेल में मोबाइल पर चल रहा था ‘काला खेल’, व्हाट्सऐप पर पाकिस्तान के संपर्क में थे कैदी

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जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले में एक जेल के भीतर से राज्य में अशांति को बढ़ावा देने वाले बड़े अलगाववादी नेटवर्क को संचालित किए जाने की बात सामने आई है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने जेल परिसर में छापा मारकर कैदियों के पास से 16 सेल फोन बरामद किए। पुलिस ने बताया कि कुछ दुर्दांत आतंकवादी और अलगाववादी कैदी इन फोनों के जरिये पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स के संपर्क में रह रहे थे और राज्य में अशांति पैदा करने की कोशिशों में जुटे रहते थे। इन फोनों के जरिये कुछ व्हाट्सएप कॉल पाकिस्तान में किए गए थे और पुलिस उन डाटा को खंगालने की कोशिश कर रही है।

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जिन कैदियों से यह मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं उनमें उग्रवाद और पथराव के आरोप में जेल में बंद लोग भी शामिल हैं. गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तीन दिन पहले ही कहा था कि पाकिस्तान कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहा है।

एसएसपी बारामुला इम्तियाज हुसैन मीर ने कहा कि इसमें जेल स्टाफ की मिलीभगत से इन्कार नहीं किया जा सकता। हमने एफआइआर दर्ज कर ली है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कुछ दिन पहले बारामुला जेल में तैनात एक अधिकारी के घर पर बड़गाम में आतंकी हमला हुआ था। उस हमले की छानबीन के दौरान कुछ संदिग्ध तत्वों की निगरानी की गई और पता चला कि बारामुला जेल में सबकुछ ठीक नहीं है।

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जेल में अलगाववादी नेता और आतंकी अपना नेटवर्क चला रहे हैं। इसके बाद सुबह कुछ खास बैरकों की तलाशी ली गई। जेल की तलाशी के दौरान बड़ी संख्या में कार्बन पेपर मिले हैं। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि जेल में अंदर आतंकियों तक मोबाइल पहुंचाने में इन कार्बन पेपर की मदद ली गई है। कार्बन पेपर के अंदर अच्छी तरह लपेटकर रखा मोबाइल फोन और सिमकार्ड आसानी से स्कैनर मशीन की पकड़ में नहीं आता।

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गौरतलब है कि मसर्रत आलम ने वादी में वर्ष 2008 और 2010 के सिलसिलेवार हिसक प्रदर्शनों के संचालन में अहम भूमिका निभाई थी। वर्ष 2015 में रिहाई के कुछ ही दिन बाद हैदरपोरा में पाकिस्तान समर्थक रैली की थी। उसके बाद पुलिस ने उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया था।