गुजरात के CM विजय रूपानी का बयान,’जो नहीं करते गाय का सम्मान, उनपर रहम बिल्कुल नहीं’

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गुजरात

इन दिनों गोरक्षा और गोकक्षी का मुद्दा जोरों पर है, गाय की सुरक्षा के लिए तमाम संगठन एक सुर में आवाज बुलंद कर रहे हैं। ऐसे में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी का भी इस मामले में अहम बयान सामने आया है। देश में गाय और बूचड़खानों को लेकर हो रहे विवाद के बीच गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने इस मुद्दे को और गर्मा दिया है। उन्होंने कहा है कि गुजरात सरकार की उन लोगों के साथ जरा भी संवेदना नहीं है जिसके मन में गाय के प्रति दया नहीं है। विजय रुपानी ने कहा, “इस सत्र में (गुजरात विधानसभा के) हमने एक बिल पास किया है और गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां गाय की हत्या करने पर उम्रकैद की सजा मिलेगी। गाय हमारी माता है। यह हमारे लिए विश्वास का प्रतीक है। राज्य सरकार ऐसे लोगों पर रहम नहीं करेगी जिनके मन में गाय के प्रति दया नहीं है।” मुख्यमंत्री ने यह बात एक जनसभा में कही।

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विजय रुपानी ने कहा, “राज्य सरकार ने गाय और इसकी संतान का वध रोकने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। गाय सिर्फ हमारे विश्वास का प्रतीक नहीं है, गावों में इसके दूध के जरिए कमाई भी होती है। गुजरात में घी और दूध की नदियां बहने दो। हमने गिर और कांकरेज जैसी गायों की प्रजातियों को बढ़ावा देने का भी फैसला किया है, ताकि जर्सी प्रजाति की गाय से छुटकारा मिल सके।” मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गौवध को रोकने का फैसला किसानों और मवेशी-पालकों की भलाई को देखते हुए किया गया है, ताकि डेयरी के जरिए उनकी कमाई बढ़ सके।

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आपको बता दें कि दो हफ्ते पहले ही गुजरात विधानसभा में गौ हत्या संशोधन बिल पास किया गया था जिसके तहत गाय की हत्या करने वालों को अब उम्रकैद की सजा होगी। इसके साथ ही गाय की तस्करी करनेवालों को दस साल की सजा का प्रावधान है। इतना ही नहीं एक लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक जुर्माना भी देना होगा।

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गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान के अलवर में गाय ले जा रहे कुछ मुसलमानों की कथित गोरक्षकों ने जमकर पिटाई की, जिसके बाद मुस्लिम शख्स की मौत हो गई। जांच में पता लगा कि जिसे भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला वो गोतस्कर नहीं बल्कि डेयरी चलाने वाला एक मामूली किसान था। मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। आखिरकार कोर्ट ने भी केन्द्र सरकार और बीजेपी शासित पांच राज्यों की सरकारों से पूछ लिया कि क्यों ना ऐसे गोरक्षकों पर ही पाबंदी लगी दी जाए, जो गाय के नाम ऐसे कारनामों को अंजाम देते हैं।